मुजफ्फरपुर: एइएस पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित चिकित्सा की योजना बनायी है. इससे पीड़ित बच्चों का इलाज शुरू होने में अधिकतम एक घंटे का वक्त लगेगा. इसके लिए विभाग ने चलंत अस्पताल की शुरुआत की है.
एंबुलेंस को अपग्रेड कर उसे आइसीयू जैसा बनाया गया है. यह एंबुलेंस 1099 पर फोन करने के घंटे के अंदर पहुंच जायेगा. एंबुलेंस में डॉक्टर व नर्स रहेंगे. इसके अलावा इलाज के लिए ग्लूकोमीटर, ब्लड प्रेशर मशीन व दवाइयां व स्लाइन उपलब्ध रहेगा.
डॉक्टर बच्चे का ग्लूकोज चेक कर एंबुलेंस में ही चिकित्सा शुरू कर देंगे. फिर वह एंबुलेंस बच्चे को लेकर एसकेएमसीएच जायेगा. राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रशासनिक अधिकारी कुमार अनुज ने शुक्रवार को डॉक्टरों के साथ बैठक कर नयी व्यवस्था के बारे में बताया. जिले में यह व्यवस्था शनिवार से शुरू हो जायेगी.
विशेषज्ञों ने की थी त्वरित चिकित्सा की मांग : अटलांटा के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञ सहित डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से कहा था कि जिन बच्चों का इलाज बीमारी के लक्षण आने के दो-तीन घंटे के अंदर शुरू हो जाता है, उसकी जान बच जाती है. करीब 90 फीसदी बच्चे दो से तीन घंटे के अंदर ठीक हो जाते हैं. विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने त्वरित चिकित्सा व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. इसके बाद विभाग ने रूट प्लानिंग कर पीएचसी से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने के लिए मैप तैयार किया गया है. एंबुलेंस के चालकों को प्रखंडवार मैप उपलब्ध कराया जायेगा.
एसकेएमसीएच पहुंचने के लिए बना रूट प्लान : विभिन्न प्रखंडों से एंबुलेंस को एसकेएमसीएच पहुंचने के लिए रूट प्लान बनाया गया है. रूट प्लान का चार्ट शनिवार को सभी एंबुलेंस चालकों को दिया जायेगा. साथ ही सभी प्रखंडों का मैप भी निकाला जा रहा है. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों से पीएचसी पहुंचने व वहां से एसेएमसीएच जाने वाले मार्ग को चिह्न्ति किया जा रहा है. जिले के पीएचसी में बाहर से आये डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है. यहां भी ऑक्सीजन सहित सभी दवाइयां उपलब्ध करा दी गयी है. बीमार बच्चों के यहां पहुंचते ही उसकी तत्काल चिकित्सा शुरू कर दी जायेगी. यदि बच्च सीरियस हुआ तो उसे एंबुलेंस से एसकेएमसीएच भेजा जायेगा. प्रखंडों में जगह-जगह पोस्टर व बैनर लगा कर लोगों को एइएस के लक्षणों व इलाज के साधनों की जानकारी दी जायेगी
मेडिकल छात्र करेंगे गांवों में कैंप : यूनिसेफ के अलावा कई स्वयंसेवी संस्थाएं गांवों में कैंप कर बच्चों का चेकअप करेगी. ग्रामीणों को एइएस से बचाव की जानकारी दी जायेगी. विभाग इसके लिए दरभंगा व पटना मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों को भी बुलाने पर विचार कर रहा है. इलाज की सुविधा के लिए समिति ने विभिन्न जिलों से 35 नर्सो को जिले में प्रतिनियुक्त किया है. इसमें पांच को सदर अस्पताल में रखा गया है. अन्य को विभिन्न पीएचसी में भेजा गया है. समिति गांवों में एइएस जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति पर भी विचार कर रही है.