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डीआइजी पर चाजर्शीट

मुजफ्फरपुर: शराब कंपनी से दस करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में सारण के पूर्व डीआइजी आलोक कुमार पर चाजर्शीट दाखिल हो गयी है. निगरानी जांच में डीआइजी पर लगे आरोपों को सत्य पाया गया है. जांच निगरानी डीएसपी अमृतेंदु शेखर ठाकुर ने की. इसमें उन्होंने पाया, शराब व्यवसायी टुन्नाजी पांडेय ने जो आरोप लगाये […]

मुजफ्फरपुर: शराब कंपनी से दस करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में सारण के पूर्व डीआइजी आलोक कुमार पर चाजर्शीट दाखिल हो गयी है. निगरानी जांच में डीआइजी पर लगे आरोपों को सत्य पाया गया है. जांच निगरानी डीएसपी अमृतेंदु शेखर ठाकुर ने की. इसमें उन्होंने पाया, शराब व्यवसायी टुन्नाजी पांडेय ने जो आरोप लगाये हैं, वे सही हैं. अब निगरानी कोर्ट में डीआइजी के पर केस चलेगा. डीआइजी के बिचौलिया का काम करनेवाले उमेश सिंह, दीपक अभिषेक व अजय दुबे पर लगे आरोपों को भी सत्य पाया गया है. इस मामले में डीआइजी व उनके सहयोगियों को दो से दस साल तक की सजा हो सकती है.

डीजीपी से हुई थी शिकायत

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की दून वैली डिस्टिलर्स के स्थानीय प्रतिनिधि टुन्नाजी पांडेय ने 13 जनवरी 2013 को डीजीपी अभयानंद से शिकायत की थी. इसमें कहा गया था, सारण डीआइजी उनसे दस करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग कर रहे हैं. शिकायत में टुन्नाजी ने लिखा था, बिचौलिये उमेश सिंह के दबाव में उनसे मिलने के लिए दस जनवरी को डीआइजी से उनके सरकारी आवास पर मिला था. इसी दौरान डीआइजी ने 10 करोड़ रुपये की मांग की थी.

उमेश ने अपनी शिकायत में लिखा था, पहले डीआइजी ने उसका हालचाल पूछा और फिर सोफे के नीचे से शराब का पाउच निकाला, जिसे गिलास में डाल दिया. इसके बाद उसकी जांच की. डीआइजी का कहना था, तुम शराब में मिलावट करते हो. हम चाहें, तो अभी तुमको अंदर कर सकते हैं.

इसके बाद डीआइजी ने कहा, छपरा, सिवान व गोपालगंज में शराब सप्लाई करके तुम हर माह बाइस करोड़ रुपये कमा रहे हो. उसमें से हमें दस करोड़ दे दोगे, तो क्या परेशानी होगी. इसके बाद डीआइजी ने टुन्ना जी को केस में फंसाने की धमकी भी दी थी. डीजीपी को लिखे पत्र में टुन्ना ने लिखा था, वो सात जनवरी के बाद से घर नहीं गया है. पूरा मामला सामने के आने के बाद डीजीपी ने निगरानी जांच के निर्देश दिये थे. शुरुआती जांच में डीआइजी के खिलाफ साक्ष्य मिले थे. उस समय खुद पर लगे आरोपों के बारे में डीआइजी ने सिर्फ इतना कहा था, जांच हो रही है. मुङो भगवान पर पूरा भरोसा है.

जांच के दौरान 20 जनवरी 2013 को डीआइजी के बिचौलिये के रूप में काम करनेवाले उमेश सिंह, दीपक उर्फ अभिषेक व अजय दुबे गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से पांच लाख रुपये बरामद किये गये थे. वहीं, जांच के दौरान आवाज की पहचान के लिए डीआइजी आलोक कुमार को कई बार बुलाया गया, लेकिन वह आवाज का नमूना देने के लिए निगरानी के सामने उपस्थित नहीं हुये. इस मामले में उन्होंने कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना. वहीं, सरकार की ओर से पहले ही डीआइजी के खिलाफ मामला चलाने की स्वीकृति दी जा चुकी है.

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