मुजफ्फरपुर: मई में हुई बारिश लीची के लिए वरदान बन गयी है. लीची अब खाने के लायक हो गयी है. बारिश के बाद बाजार में आ रही शाही व चाइना लीची में मिठास आ गई है. फल भी बढ़ गये हैं. अभी फल बढ़ने की प्रक्रिया जारी है.
लीची वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी शाही लीची सेहत के लिए फायदेमंद है. अभी नुकसान नहीं करेगी. पांच से सात जून तक शाही लीची बागों में रह सकती है.
इसके बाद चाइना का वक्त आ जायेगा. हालांकि, बारिश के बाद व्यवसायियों ने चाइना लीची को भी बाजार में उतार दिया है. लोगों को चाइना लीची भी दिया जा रहा है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एसके पूव्रे ने बताया कि बारिश से पूर्व काफी शाही लीची जल गई थी. इसके बाद व्यवसायी आनन-फानन में लीची को तोड़ कर बेच डाले. जो बचे थे, धूप के कारण जल गयी. क्योंकि तापमान 40 से 43 व नमी 20 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी. हालांकि, जिन व्यवसायियों ने लीची के बागों को अच्छी कृषि क्रियाओं के माध्यम से सुरक्षित रखा था, उनकी लीची आज भी बागों में सुरक्षित हैं. उनका फल बड़ा हो गया है. हालांकि, मात्र 10 प्रतिशत ही शाही लीची बची है. वहीं, जिनके बागों में उत्तम कृषि क्रियाओं का सहारा नहीं लिया गया था, उनकी लीची अगर बची है तो वह फट कर गिर रही है. बारिश के कारण फल बढ़ रहा है. छिलका भीषण गरमी से जल चुका था. ऐसे में छिलका हार्ड होने के कारण फल के बढ़ाव से फल फट रहा है.
चाइना लीची कर रही आकर्षित
चाइना लीची के लिए बारिश काफी फायदेमंद होगी. चाइना लीची के फल का आकार सुंदर होने के कारण लोग फल को काफी पसंद कर रहे हैं. जिला उद्यान पदाधिकारी अशोक कुमार राव ने बताया कि शाही लीची को बारिश से कोई खास फायदा नहीं हुआ है, लेकिन चाइना को काफी फायदा हुआ है. किसानों व व्यवसायियों के लिए बारिश फायदा पहुंचायेगी. शाही लीची काफी हद तक टूट चुकी है. कुछ लोग अपने उपयोग के लिए एक दो पेड़ रखे हैं.