मुजफ्फरपुर: ‘छोड़िए साहब, हम तो कह-कह के थक गये हैं पर इस तरफ आता कौन है. कभी साहब लोग इधर से गुजरते तो जानते की दर्द क्या होता है.’ कलमबाग निवासी सुभाष चंद्र चौधरी चेहरे पर खीज साफ देखी जा सकती थी. इसके अलावा भी बहुत कुछ कह गये. ये दर्द इस मुहल्ले में रहने वाले हर आदमी का है. बात है मोतीझील ओवरब्रिज से कलमबाग चौक जानेवाली सड़क की.
इस सड़क की बदहाली का आलम यहां से गुजरने वाले हर व्यक्ति के चेहरे पर दिख जाता है. प्रशासनिक उपेक्षा या फिर हालात की मजबूरी सड़क बन नहीं पा रही है. इससे आजिज हो कर रविवार को लोगों व जनहित अधिवक्ता मंच ने एक बैनर टांग दिया है. बैनर का हर शब्द दर्द व उपेक्षा की कहानी सुना रहा है. जरा गौर कीजिए..‘पेट दर्द और कमर मोच रोड’. स्थानीय लोगों ने यह बैनर कई सालों की प्रताड़ना
ङोलने के बाद लगाया है.
मंच के सचिव सुशील कुमार सिंह व मनोज कुमार, भानु प्रसाद मिश्र, अशोक कुमार, अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले तीन सालों से यह दर्द ङोल रहे हैं. दो बार सड़कें बनी, लेकिन 15 दिनों के अंदर ही खराब हो गयी. इसकी जांच विजिलेंस टीम के अधिकारियों ने भी की. लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई. जबकि इस सड़क से होकर शहरवासियों को समाहरणालय, न्यायालय, वरीय पुलिस अधिकारी व सदर अस्पताल लोगों का आना-जाना लगा रहता है.