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पांच साल में सिर्फ तीन मरीज की डायलिसिस

मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में वर्ष 2013 में 15 लाख रुपये की लागत से लगी डायलिसिस मशीन शो पीस बनकर रह गया है. पिछले छह सालों में सिर्फ तीन मरीजों की ही डायलिसिस हो सकी है. डाइलाइजर (केमिकल) और मशीन के कुछ पार्ट्स की कमी से यह यह मशीन ठप है. बुधवार को बरुराज से सुनील […]

मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में वर्ष 2013 में 15 लाख रुपये की लागत से लगी डायलिसिस मशीन शो पीस बनकर रह गया है. पिछले छह सालों में सिर्फ तीन मरीजों की ही डायलिसिस हो सकी है. डाइलाइजर (केमिकल) और मशीन के कुछ पार्ट्स की कमी से यह यह मशीन ठप है. बुधवार को बरुराज से सुनील कुमार शर्मा को उनके परिजन डायलिसिस के लिए लेकर एसकेएमसीएच पहुंचे. लेकिन, मशीन चालू नहीं होने के कारण उनकी डायलिसिस नहीं हो पायी और वह वापस चले गये.
केंद्र सरकार ने पीजी छात्रों की पढ़ाई के लिए मेडिसीन विभाग में मशीन लगाने के लिए राशि तत्कालीन प्राचार्य डॉ डीके सिन्हा को उपलब्ध करायी थी. इसके बाद करीब 15 लाख की लागत से डायलिसिस मशीन खरीदी गयी. बी ब्रोन कंपनी की इस मशीन से सिर्फ एक महीने काम हुआ. इससे 24 घंटे में एक मरीज की ही डायलिसिस हो पायी. बाकी दो मरीजों की चार बार डायलिसिस की गयी. इसके बाद से मशीन का उपयोग कभी नहीं हुआ.
पिछले सप्ताह प्राचार्य विकास कुमार ने दावा किया था कि डायलिसिस शुरू हो गयी है. इसके लिए अनुभवी तकनीशियन की भी बहाली कर दी गयी है. उन्होंने कहा था कि अब उत्तर बिहार से आनेवाले मरीजों को डायलिसिस के लिए प्राइवेट अस्पताल में अधिक पैसा खर्च नहीं करना होगा. लेकिन, बुधवार को जब मरीज डायलिसिस कराने पहुंचे, तो उन्हें मशीन के कुछ पार्ट्स नहीं आने पर चालू नहीं होने की बात कहीं गयी.
कोमा में है एसकेएमसीएच में लगी 15 लाख रुपये की डायलिसिस मशीन
निजी अस्पताल में 20 हजार तक होते हैं खर्च
निजी अस्पताल में एक बार डायलिसिस कराने का खर्च कम से कम 15 से 20 हजार रुपये आता है. आर्थिक दृष्टि से कमजोर मरीज यह खर्च नहीं उठा सकते. इससे कई मरीज बिना डायलिसिस के ही दम तोड़ देते हैं. अगर मेडिकल कॉलेज की मशीन ठीक हो जाये, तो उन्हें इसका लाभ मिलता.
केमिकल के अभाव में ठप
एसकेएमसीएच के प्राचार्य विकास कुमार के मुताबिक, डायलिसिस के लिए अनुभवी तकनीशियन उपलब्ध हैं. इसके लिए दो नर्स मशीन के संचालन का पटना से प्रशिक्षण भी ले चुकी हैं. प्राचार्य का कहना है कि डाइलाइजर (केमिकल) और मशीन के कुछ पार्ट्स की कमी से यह अबतक चालू नहीं हो सकी है.

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