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मां-बाप के बाद अब दादी का भी छूटा साथ, बिलख उठा गांव

सरैया : तीन साल पहले जब बाहर कमाने गया पिता गायब हो गया और मां ने दूसरी शादी रचा ली, तभी तीन मासूमों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया था. लेकिन शनिवार को तीनों बच्चे सच में अनाथ हो गए, जब बुजुर्ग दादी भी उन्हें बेसहारा छोड़कर चल बसी. 70 वर्षीया जीरिया देवी […]

सरैया : तीन साल पहले जब बाहर कमाने गया पिता गायब हो गया और मां ने दूसरी शादी रचा ली, तभी तीन मासूमों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया था. लेकिन शनिवार को तीनों बच्चे सच में अनाथ हो गए, जब बुजुर्ग दादी भी उन्हें बेसहारा छोड़कर चल बसी. 70 वर्षीया जीरिया देवी की मौत पर बच्चों के साथ ही पूरा गांव बिलख उठा. सबकी जुबान पर एक ही चर्चा थी, अब इन मासूमों का पालन-पोषण कौन करेगा. तीनों बच्चों की उम्र महज तीन, पांच व सात साल है. दादी थी तो सबके घर से कुछ न कुछ लाकर उनका पेट भरती थी.

सरैया बाजार के समीप स्थित परहियां महादलित बस्ती की रहने वाली 70 वर्षीया जीरिया कुंवर के तीन बेटे थे. बड़े बेटे की एकमात्र पुत्री है. बेटे की मौत हो चुकी है. 20 साल पहले जीरिया की पौत्री की शादी हो चुकी है और वह अपने परिवार के साथ बंगलोर में रहती है. दूसरे बेटे की मौत हो चुकी है. वहीं तीसरा बेटा शिवलाल राम मंदबुद्धि था. उसकी शादी हुई और तीन बच्चे भी थे. वह बंगलोर में कमाने गया था, जहां से अचानक गायब हो गया. जब उसकी खोज-खबर नहीं मिली, तो उसकी पत्नी ने दूसरे युवक से शादी कर ली. जीरिया घर-घर घूमकर खाना मांग कर लाती थी, जिससे उसका और तीनों बच्चों का पेट भरता था. उसकी मौत के बाद ग्रामीणों को भी इस बात की चिंता सताने लगी है कि अब बच्चों का क्या होगा.
विवाद से बचने को ली थाना प्रभारी से अनुमति
ग्रामीणों ने किसी तरह के विवाद से बचने के लिए अंतिम संस्कार की अनुमति थाना प्रभारी से भी ले ली. गांव के नरेश राम ने बताया कि जीरिया की विवाहित पौत्री घर व जमीन के लालच में दाह संस्कार करना चाहती है. जब तक वह जीवित थी, कोई उसका हाल पूछने वाला भी नहीं था. अब उसे दादी की याद आई है. ग्रामीणों का कहना था कि वह घर व जमीन पर कब्जा कर लेगी, तो तीनों अनाथ बच्चों का क्या होगा.
तीन मासूम बेसहारा
परहियां गांव में जिरिया देवी की मौत के बाद बेसहारा हो गए बच्चे
पिता के गायब होने के बाद मां ने बच्चों को छोड़ कर ली थी शादी
70 वर्षीया विधवा दादी तब से जैसे-तैसे कर रही थी पालन-पोषण
चंदा के पैसे से किया अंतिम संस्कार
जीरिया का अंतिम संस्कार 30 घंटे बाद रविवार को हुआ. बाया नदी के तट पर बड़े पौत्र ने मुखाग्नि दी. मौत के बाद शनिवार को अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका. बताया गया कि मृतका की विवाहिता पौत्री परिवार के साथ अंतिम संस्कार के लिए आ रही है. रविवार की सुबह ग्रामीणों ने आपस में बैठक की और आपस में चंदा जुटाकर अंतिम संस्कार करा दिया. मौके पर मुहल्ले के सभी लोग मौजूद थे.

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