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कीड़े खा गये अरबों की लीची

* पार्क होटल में लीची की बरबादी पर कार्यशाला में जुटे दिग्गजमुजफ्फरपुर : सूबे में बारिश के बाद लीची के किसान व व्यवसायियों को अरबों का नुकसान हुआ है. बारिश से लीची के तमाम फलों में कीड़े आये हैं. फल अपने आप गिर रहे हैं. इससे 28 हजार हेक्टेयर की लीची बरबाद हुई है. जिन […]

* पार्क होटल में लीची की बरबादी पर कार्यशाला में जुटे दिग्गज
मुजफ्फरपुर : सूबे में बारिश के बाद लीची के किसान व व्यवसायियों को अरबों का नुकसान हुआ है. बारिश से लीची के तमाम फलों में कीड़े आये हैं. फल अपने आप गिर रहे हैं. इससे 28 हजार हेक्टेयर की लीची बरबाद हुई है. जिन किसानों ने 24 मई से पहले लीची तोड़ दी, उनकी लीची सही-सलामत मार्केट में खप गयी.

27 मई के बाद लीची में बारिश से नमी होने के कारण पिल्लू आ गये. शाही लीची करीब 40 प्रतिशत तो चाइना तो कुछ बचा ही नहीं है. इससे अरबों रुपये की क्षति हुई है. लीची के सभी पौधे काट कर कलेक्ट्रेट में जमा कर दिये जायेंगे.

लीची से जुड़ी समस्याओं पर द पार्क होटल में लीची किसान व्यापारी व निर्यातक संगोष्ठी हुई. इसमें वक्ताओं ने कहा कि यहां निर्यात के लिए कोई संसाधन विकसित नहीं किया गया. अब जन कल्याण नहीं स्वकल्याण की नीतियां काम कर रही हैं. केंद्र व राज्य दोनों सरकार की यही हालत है. इस मौके पर पैक्स अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार समेत कई किसान शामिल थे.

* तीन दिन में बंद कर दिया प्लांट
नामधारी ग्रुप के मालिक सेवा सिंह ने कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ बेला में पैक हाउस बनाया था. लीची में आये कीड़े से सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया. 21 मई को काम शुरू किया था. 24 मई को कीड़े आ गये. 27 मई को प्लांट बंद कर दिया.

सरकार भी कुछ नहीं कर सकी. इस वर्ष ट्रायल के तौर पर 1.5 टन लीची लंदन भेजी गयी थी. जो सुरक्षित पहुंच गयी. बिहार में लीची उत्पादन तो है लेकिन निर्यात के कोई साधन नहीं है.

* रेफर वैन की व्यवस्था नहीं
लीची का इंटरनेशनल कंपनी के केपी ठाकुर ने कहा कि उपभोक्ता संतुष्ट नहीं होंगे तो लीची की बिक्री कहां होगी. हम कीड़ा वाला लीची नहीं दे सकते. सरकार के पास सब्जी, फल का उन्नत मूल्य वसूलने की व्यवस्था नहीं है. बिहार में 28 हजार हेक्टेयर में लीची है. अधिक से अधिक लीची नुकसान हुआ है.

सरकार अरबों रुपये पेड़ों की रंगाई पर लुटा रही है, लेकिन अबतक रेफर वैन की व्यवस्था नहीं की है. ट्रेन से भी सुविधा नहीं है. सरकार को चाइना से सीख लेने की जरूरत है. वहां कृषि को उद्योग बना कर आर्थिक विकास का मॉडल तैयार कर दिया गया.

* लीची काटकर जमा कर देंगे
किसान नेता भोला नाथ झा ने कहा कि लीची पर किसानों की आजीविका निर्भर है. फिर भी सरकार ने अब तक कोई संसाधन विकसित नहीं किया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र का कोई भी वैज्ञानिक लीची में लगने वाले कीड़ों के रोकने के कारण व निदान का पता नहीं लगा सके.

किसान, व्यापारी व निर्यातकों को अरबों का नुकसान हुआ है. सरकार के रवैये से किसानों का विकास रुक गया है. सूबे में कीट प्रबंधन पर कोई काम नहीं हुआ. मार्केट सर्वे में 700 लीची लिया गया. इनमें 52 प्रतिशत में कीड़ा था. अब लीची काट कर समाहरणालय में जमा कर देना ही विकल्प बच गया है.

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