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घोटाले की बात आयी तो बदल गया इस्टीमेट!

मुजफ्फरपुर: अखाड़ाघाट पुल मरम्मत कार्य में बड़े घोटाले की बात आने पर मरम्मतके लिए पूर्व में बने इस्टीमेट को बदल दिया गया. पहले इस पुल को काफी क्षतिग्रस्त बताते हुए मरम्मत कार्य के लिए एक करोड़ 71 लाख 91 हजार का इस्टीमेट बनाया गया, जिसमें जांच के बाद एक करोड़ 43 लाख 30 हजार रुपये […]

मुजफ्फरपुर: अखाड़ाघाट पुल मरम्मत कार्य में बड़े घोटाले की बात आने पर मरम्मतके लिए पूर्व में बने इस्टीमेट को बदल दिया गया. पहले इस पुल को काफी क्षतिग्रस्त बताते हुए मरम्मत कार्य के लिए एक करोड़ 71 लाख 91 हजार का इस्टीमेट बनाया गया, जिसमें जांच के बाद एक करोड़ 43 लाख 30 हजार रुपये विभाग ने स्वीकृत किये.

एक माह पूर्व डीएम ने दिया था जांच का आदेश
काम शुरू होने के बाद खानापूर्ति किया जाने लगा. जिसको लेकर स्थानीय लोगों व शेखपुर सघर्ष समिति ने बड़े घोटाले की आशंका जताते हुए काम को कुछ देर के लिए रोक भी दिया. जिलाधिकारी से इसकी जांच की मांग भी की. जिसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर जांच टीम का गठन हुआ. एसडीओ पूर्वी ने जांच में बड़े घोटाले की आशंका जतायी.

जांच के भय से बदल गया इस्टीमेट : इसके बाद एक करोड़ 43 लाख की राशि के इस्टीमेट को बदल कर 39 लाख 89 हजार रुपये का इस्टीमेट बना दिया गया. अचानक इस ढंग का हेराफेरी किये जाने से बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त की जा रही है. इतना ही नहीं विभाग के वरीय अभियंताओं पर भी अंगुली उठने लगी है कि आखिर पहले इस्टीमेट अधिक का बना, जब घोटाले की बात आयी तो इस्टीमेट कैसे बदल गया.

20 मार्च से शुरू हुई थी मरम्मत : पुल मरम्मती के लिए टेंडर हुआ. आइडियल इंफ्रास्ट्रर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इस मरम्मती का टेंडर लिया. एग्रीमेंट के बाद पिछले 20 मार्च से मरम्मती कार्य शुरू हुआ. मरम्मती को लेकर इस्टीमेट के अनुसार जैक लगा कर पुल को ऊपर उठाने के लिये रास्ता को अवरुद्ध कर दिया गया. उस वक्त विभाग के वरीय परियोजना अभियंता बीके सिंह ने भी बताया था कि पुल उठा कर मरम्मत कार्य किया जाना है. पुल उठा कर मरम्मत किये जाने की स्थिति में वाहन चलने पर खतरा उत्पन्न हो सकता है. इसलिए पुल पर यातायात बंद करना जरूरी है. उनका कहना था कि 15 दिनों तक छोटे वाहनों व पैदल चलने पर रोक लगाना आवश्यक है. फिर बड़े वाहनों को भी 20 रोज बाद चालू कर दिये जाने की बात बतायी गयी थी.

पुल के निचले भाग में पटाया गया सीमेंट का घोल : पुल के निचले भाग में सीमेंट का घोल व कहीं कहीं सीमेंट से नीचे के उखड़े चट की मरम्मती शुरू कर दी गयी. 10 से 12 मजदूरों को इस कार्य में लगाया गया. पुल के उत्तरी छोर पर पिलर के बगल में कुछ ढलाई का काम किया गया. तब लोगों को आशंका हुई कि इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है. जिसके विरुद्ध लोगो ने जम कर आवाज उठायी.

जांच टीम को नहीं उपलब्ध कराया गया इस्टीमेट : शेखपुर संघर्ष समिति की शिकायत पर जिलाधिकारी ने एक जांच टीम का गठन किया. जांच टीम के सदस्यों ने पुल निर्माण विभाग से इस्टीमेट की मांग की. लेकिन उन्हें इस्टीमेट उपलब्ध नहीं कराया गया. आरइओ वन के कार्यपालक अभियंता विजय सिंह कश्यप ने बताया कि दुबारा भी पुलि निर्माण विभाग से इस्टीमेट की मांग की गयी. लेकिन इस्टीमेट अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिलाधिकारी ने एक माह पूर्वजांच का आदेश दिया था. इस्टीमेट उपलब्ध नहीं रहने के कारण जांच नहीं हो पाया.

पुल काफी मजबूत है, इसलिए बदला गया इस्टीमेट : पुल निर्माण निगम के वरीय परियोजना अभियंता बीके सिंह ने बताया कि पहले के लोगों ने इस्टीमेट तैयार किया था. लेकिन पुल काफी मजबूत है. काम के हिसाब से बाद में इस्टीमेट को बदल कर एक करोड़ 43 लाख की जगह 39 लाख 89 हजार कर दिया गया है. इस इस्टीमेट को मंजूरी के लिए हेडक्वार्टर भेजा गया है.

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