मुजफ्फरपुर : चार जनवरी यानी गुरुवार से स्वच्छता सर्वेक्षण प्रतियोगिता-2018 पूरे देश में शुरू हो रही है. इस बार देशभर के 4041 नगर निकायों को स्वच्छता की कसौटी पर कसा जायेगा. देश के अन्य शहरों के अलावा बिहार के 143 स्थानीय निकाय भी इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल होंगे.
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आपके सहयोग से सुधरेगी स्वच्छता में शहर की छवि
मुजफ्फरपुर : चार जनवरी यानी गुरुवार से स्वच्छता सर्वेक्षण प्रतियोगिता-2018 पूरे देश में शुरू हो रही है. इस बार देशभर के 4041 नगर निकायों को स्वच्छता की कसौटी पर कसा जायेगा. देश के अन्य शहरों के अलावा बिहार के 143 स्थानीय निकाय भी इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल होंगे. इसमें अमृत योजना में सेलेक्ट […]
इसमें अमृत योजना में सेलेक्ट 27 निकायों की राष्ट्रीय स्तर पर, जबकि शेष का राज्य स्तर पर रैकिंग तय होगा. निकायों को स्वच्छता के मामले में खुद को बेहतर साबित करने की चुनौती है. सबसे ज्यादा चुनौती स्मार्ट सिटी के लिए चयन हो चुके मुजफ्फरपुर समेत पटना, भागलपुर शहर की प्रतिष्ठा फंसी है. इन तीनों शहर को हर हाल में स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के प्रथम 100 शहरों की सूची में अपना जगह बनाना होगा. इसके लिए नगर निगम को कड़ी मेहतन करनी होगी. लोगों को बढ़-चढ़कर इसमें सहयोग करना होगा. लोगों के सहयोग बिना अच्छा रैंक पाना व शहर की छवि को बदलना संभव नहीं है.
4000 अंकों की होगी प्रतियोगिता
स्वच्छ शहरों के लिए 4000 अंकों की प्रतियोगिता होगी. इसमें टीम के शहर की सफाई आदि के खुद के निरीक्षण के 1200 अंक हैं. स्वच्छता एप डाउनलोड करने पर 400 अंक है, यानी जितना ज्यादा लोग एप डाउनलोड करेंगे, उतने ही अधिक अंक मिलेंगे. पब्लिक फीडबैक पर 1000 अंक है. फिर निकायों के डॉक्यूमेंटेशन पर 1400 अंक हैं. इस डॉक्यूमेंटेशन में निकायों की जानकारी देनी होगी कि कितने घरों से डोर-टू-डोर कचरे का उठाव हो रहा है. गलत जानकारी देने पर निगेटिव मॉर्किंग होगी.
प्रतियाेगिता में मुजफ्फरपुर समेत बिहार के 143 नगर निकाय शामिल हैं
घर-मुहल्लों की सफाई जरूरी
शहर को स्वच्छ रखने की शुरुआत मैंने अपने घर से की है. मैं अपने घर के सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग रखती हूं. सब्जियों के छिलके का इस्तेमाल बागवानी में करती हूं. हम सभी गंदगी को नहीं फैलाएं व अपने घर के अलावा मुहल्लों में सफाई का ध्यान रखें तो हमारा शहर स्वच्छ व सुंदर बनेगा. हमलोगों को इसके लिए संकल्प लेना चाहिए.
अलका कुमारी, एएनएम, अलकापुरी
पॉलीथिन का नहीं करें इस्तेमाल
स्वच्छता के लिए सबसे पहले हमें पॉलीथीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह सालों तक मिट्टी में दबा रहता है. इससे प्रदूषण फैलता है. हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि बाहर से सामान की खरीदारी पॉलीथिन में नहीं, बल्कि कपड़े के थैले में करे. जब हमलोग पॉलीथिन का उपयोग नहीं करेंगे तो नालों में पानी का बहाव नहीं रुकेगा. कूड़ेदान में भी कचरों का ढेर नहीं लगेगा.
दिवाकर मिश्रा, व्यवसायी, जीरोमाइल
बचे खाने काे कूड़ेदान में नहीं फेंके
हमलोग रोज बहुत सारा खाना बरबाद करते हैं. इसे कूड़े पर फेका जाता है तो इससे काफी बदबू आती है. यह कई तरह की बीमारियों का कारण भी बनता है. शहर को स्वच्छ रखना है तो हमें इन आदतों में सुधार लानी होगी. बचे हुए खाने को गड़ढ़ा खोद कर रख देना चाहिए. इससे बदबू नहीं आयेगी व मक्खियां भी नहीं लगेगी.
सलोनी कुमारी, छात्रा, बजरंगपुरी निवासी
इन निकायों का राष्ट्रीय स्तर पर होगी रैंकिंग
केंद्र सरकार की अमूर्त योजना में चयनित प्रदेश के 27 शहरों का रैकिंग सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्तर पर होगा. इनमें मुजफ्फरपुर के अलावा पटना, गया, भागलपुर, बिहारशरीफ, दरभंगा, पूर्णिया, आरा, बेगूसराय, कटिहार, मुंगेर, छपरा, दानापुर, सहरसा, हाजीपुर, सासाराम, डेहरी, सीवान, बेतिया, मोतिहारी, बगहा, किशनगंज, जमालपुर, जहानाबाद, बक्सर और औरंगाबाद शहर शामिल हैं.
पूछे जायेंगे ये सवाल – जवाब हां में होगा, तो िमलेंगे अंक
क्या आप जानते हैं कि आपका शहर स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 में भाग ले रहा है?
क्या आपका क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा साफ है?
इस साल, क्या आपने सार्वजनिक क्षेत्रों में कूड़े के डिब्बे का उपयोग शुरू कर दिया है?
क्या आप इस वर्ष अपने घर से अलग-अलग कूड़ा (गीला व सूखा) संग्रहण कार्य से संतुष्ट हैं?
क्या आपको लगता है कि पिछले वर्ष की तुलना में खुले में पेशाब/शौच करनेवालों की संख्या कम हुई है?
क्या सामुदायिक शौचालय या सार्वजनिक शौचालय अब अधिक साफ और सुलभ है?
बजट का हो सदुपयोग
शहर काे स्वच्छ रखने के लिए सरकार जो बजट बनाती है, उसका इस्तेमाल विकास कार्य में हो रहा है या नहीं, इस पर हमें ध्यान देना चाहिए . हम अक्सर देखते हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर नल टूटे रहते हैं, जिससे पानी बहता रहता है. इससे गंदगी फैलती है. ऐसे ही बहुत सारे छोटे कारण शहर को गंदा बनाते हैं. शहर को स्वच्छ बनाये रखना हम सबकी जिम्मेवारी है. सरकार के रुपये का सही इस्तेमाल हो व नागरिक अपनी जिम्मेवारी पूरी करे.
रविरंजन, अतरदह
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