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बिना इलाज लौटे हजारों मरीज
मुजफ्फरपुर : आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के आह्वान पर मंगलवार को जिले में डॉक्टरों की हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला. एक अनुमान के अनुसार लगभग दस हजार से अधिक मरीजों को वापस लौटना पड़ा. हड़ताल का ज्यादा असर डॉक्टरों की मंडी कहे जाने वाले जूरन छपरा में देखने को मिला. अधिकतर डॉक्टरों के […]
मुजफ्फरपुर : आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के आह्वान पर मंगलवार को जिले में डॉक्टरों की हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला. एक अनुमान के अनुसार लगभग दस हजार से अधिक मरीजों को वापस लौटना पड़ा. हड़ताल का ज्यादा असर डॉक्टरों की मंडी कहे जाने वाले जूरन छपरा में देखने को मिला. अधिकतर डॉक्टरों के क्लिनिक का ताला तक नहीं खुला. सुबह में एसकेएमसीएच में भी थोड़ी देर के लिए ओपीडी सेवा बाधित रही. यहां से करीब पांच सौ मरीजों काे बिना इलाज लौटना पड़ा. हालांकि ओपीडी खुलने पर 84 मरीजों का पुर्जा कटा. इमरजेंसी में पहुंचे मरीजों का इलाज हुआ.
सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने हड़ताल में समर्थन नहीं देने की बात कहते हुए ओपीडी सेवा जारी रखा. अत्यधिक ठंड के बाद भी सदर अस्पताल की ओपीडी में 162 मरीजों का इलाज हुआ. मीनापुर सहित कई प्रखंडों के पीएचसी में हड़ताल का असर दिखा. बिहार राज्य स्वास्थ सेवा संघ (भाषा) के अधिकारियों का कहना था कि हड़ताल को लेकर कोई लिखित सूचना नहीं दी गयी थी. आइएमए मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष डॉ. ब्रजमोहन ने दावा किया कि 12 घंटे की हड़ताल सफल रही. सरकार नेशनल मेडिकल कौंसिल (एनएमसी) का प्रावधान कर रही है, वह सही नहीं है. अव्यावहारिक होने के कारण राष्ट्रीय आइएमए के आह्वान पर डॉक्टर हड़ताल पर थे. अगर सरकार बिल वापस नहीं लेती है तो और तेज आंदोलन होगा. इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार होगी. पूरे देशभर के डॉक्टर इस बिल के खिलाफ है .
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