मुजफ्फरपुर: फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य व कर्ज माफी को लेकर पूरे देश के किसान एक मंच पर आ गये हैं. 20 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने पर पूरे देश के किसान दिल्ली पहुंचेंगे. यह ऐतिहासिक रैली होगी. आजादी के बाद यह पहली बार हो रहा है. इससे पहले किसान जाति-पाति व छोटे-बड़े के नाम पर संगठनों में बंटे हुए थे.
लेकिन एमपी के मंदसौर की घटना के बाद किसानों के बीच की दीवारें टूट गयी है. अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के बैनर तले 150 से अधिक किसान संगठन शामिल हो चुके हैं. उक्त बातें स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने रविवार को कच्ची पक्की स्थित विश्वविभूति पुस्तकालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कही. वे सीतामढ़ी जाने के क्रम में कुछ देर के लिए यहां रुके थे. उन्होंने कहा कि रैली से पहले पूरे देश में किसान मुक्ति यात्राएं हो रही हैं. गांधी जयंती के दिन सीतामढ़ी से यह यात्रा निकलेगी, जिसमें शामिल होने जा रहा हूं. यादव ने कहा कि यह यात्रा विभिन्न शहरों का भ्रमण करते हुए यूपी के गजरौला तक जायेगी. देश भर में तीन यात्राएं और होंगी.
उन्होंने कहा कि 2007 में स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को लागत के डेढ़ गुना कीमत देने की अनुशंसा की थी, लेकिन सरकार ने आज तक इसे लागू नहीं किया. किसानों को हर वर्ष दो लाख
करोड़ का नुकसान हो रहा है. सरकार न्यूनतम फसल मूल्य दे व किसानों का कर्ज माफ करे. मौके पर शाहिद कमाल, सोमनाथ त्रिपाठी, बीके प्रलंयकर, मुकेश कुमार मौजूद थे.
पीएम मोदी की गारंटी कांग्रेस
यादव ने कहा कि पीएम मोदी के समय जीडीपी दो फीसदी गिर गया. पेट्रोलियम पदार्थ महंगे होने से महंगाई भी बढ़ गयी. एक तरफ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, दूसरी तरफ वे बुलेट ट्रेन चला रहे हैं. जनता का अब पीएम से मोह भंग हो चुका है, लेकिन जनता के पास कोई रास्ता भी नहीं है. कांग्रेस की जो हालत है, उसमें जनता के पास दूसरा वैकल्पिक चेहरा नहीं है. एक तरह से कहा जाये, तो पीएम मोदी की गारंटी कांग्रेस ही है. सीएम नीतीश पर जनता भरोसा कर रही थी, लेकिन भाजपा के गठबंधन के साथ यह भरोसा भी टूट गया. यादव ने एक सवाल में यह स्वीकार किया आम आदमी पार्टी ने जनता के आंदोलन को कमजोर किया है. लोगों का भरोसा टूटने से परेशानी हुई है.