हालांकि ये आंकड़े पिछले पांच सालों में लगातार घटे हैं, फिर भी स्थिति अभी खतरनाक है. दरअसल, गर्भ में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण वे कमजोर हो जाते हैं. इसका सीधा असर उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर पड़ता है. इससे अन्य तरह की बीमारियां भी उनको घेर लेती हैं. इस आंकड़े को लेकर डब्लूएचओ ने भी कई बार अलर्ट किया है.
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हर तीसरे बच्चे को कोख में ही बीमारियों की सौगात
मुजफ्फरपुर : जिले में पैदा होने वाले हर तीसरे बच्चे को कोख में ही बीमारियों की सौगात मिलती है. जी हां, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की उचित देखभाल नहीं हो पाती. खान-पान भी सही नहीं रहता. इस कारण वे खुद तो कुपोषित रहती हैं, साथ ही उनकी कोख में पलने वाला बच्चा भी कुपोषण का […]
मुजफ्फरपुर : जिले में पैदा होने वाले हर तीसरे बच्चे को कोख में ही बीमारियों की सौगात मिलती है. जी हां, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की उचित देखभाल नहीं हो पाती. खान-पान भी सही नहीं रहता. इस कारण वे खुद तो कुपोषित रहती हैं, साथ ही उनकी कोख में पलने वाला बच्चा भी कुपोषण का शिकार हो जाता है. जिले में शून्य से पांच वर्ष के लगभग 33 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं.
कम हो रहा कुपोषण दर, फिर भी खतरा : जिले में कुपोषण लगातार कम हो रहा है, फिर भी खतरा बरकरार है. वर्ष 2012-13 में कुपोषण दर 46.79 प्रतिशत था. वर्ष 2015-16 में यह घट कर 33.68 प्रतिशत हो गया. इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर पर लगातार किया जाता है. जिले से लेकर राज्य स्तर तक मॉनीटरिंग की जाती है.
डेढ़ लाख बच्चों का पोषण स्तर सुधारने का प्रयास : जिले के 2463 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जिले के करीब डेढ़ लाख बच्चों का पोषण स्तर सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. केंद्रों पर बच्चों का वजन कराया जाता है. साथ ही शरीर की लंबाई की माप भी होती है. कुपोषण का पता चलने पर बच्चे की नियमित देखभाल की जाती है. अभिभावकों को भी इसके लिए सुझाव दिये जाते हैं. पोषण तत्वों की जानकारी दी जाती है, जिससे वे सही तरीके से पालन-पोषण कर सकें.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर मनाना है अन्नप्रासन दिवस : बच्चों को सही मात्रा में आहार के साथ पोषण तत्व मिल सके, इसके लिए सरकार ने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्रासन दिवस मनाने का निर्देश दिया है. इसमें हर महीने की निर्धारित तिथि को केंद्र पर बच्चों को बुला कर उम्र के हिसाब से भोजन व पोषक तत्व देने के लिए आंगनबाड़ी सेविका माताओं को प्रेरित करेंगी.
गर्भवती महिलाओं की करनी है देख-रेख :प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर महीने नौ तारीख को सरकारी अस्पतालों में कैंप लगाया जाता है. इसमें दूसरी व तीसरी तिमाही की गर्भवती महिलाओं की विशेष सेहत जांच की जानी है, ताकि सुरक्षित प्रसव हो सके. इसके साथ ही ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन व अल्ट्रासाउंड कराना है. स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ ही आंगनबाड़ी सेविकाएं ऐसी महिलाओं की मॉनीटरिंग करती हैं. उन्हें कैंप में लाने की भी जिम्मेदारी है.
मां व बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चल रही हैं. ग्रामीण स्तर पर डोर-टू-डोर संपर्क कर गर्भवती महिलाओं की मॉनीटरिंग की जाती है. उनकी नियमित देखभाल विभाग की टीम करती है, जिससे वे किसी तरह कुपोषण का शिकार न हो. प्रसव के बाद बच्चे की भी नियमित जांच होती है.
डॉ ललिता सिंह, सिविल सर्जन
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