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बेड पर छटपटा रहे थे बच्चे, लाचार बने रहे मां-बाप

मुजफ्फरपुर : डॉक्टर साहब बोले थे कि मेडिकल कॉलेज में बेहतर इलाज होगा, लेकिन यहां तो कोई सुनने वाला ही नहीं. इससे तो अच्छा था गांव पर ही इलाज करा लेते. बेड पर भर्ती कराने के बाद पानी का बोतल लगा दिये हैं. दवा खत्म हो गई. बंद करने कोई नहीं आ रहा. एसकेएमसीच के […]

मुजफ्फरपुर : डॉक्टर साहब बोले थे कि मेडिकल कॉलेज में बेहतर इलाज होगा, लेकिन यहां तो कोई सुनने वाला ही नहीं. इससे तो अच्छा था गांव पर ही इलाज करा लेते. बेड पर भर्ती कराने के बाद पानी का बोतल लगा दिये हैं. दवा खत्म हो गई. बंद करने कोई नहीं आ रहा. एसकेएमसीच के वार्ड नंबर दो में भर्ती 12 वर्षीय दानिश व आठ वर्षीय तन्नू के पिता एमडी रुस्तम ने व्यवस्था पर कुछ इसी अंदाज में अपनी खीझ व्यक्त की. तुर्की ओपी के चकिया गांव के 10 बच्चों को इसी वार्ड में भर्ती कराया गया है, जबकि तीन अन्य पीड़ित दूसरे वार्ड में है. कई बच्चे पेट दर्द से छटपटा रहे थे, लेकिन कोई सुनने वाला भी नहीं था.

सरकारी एंबुलेंस से लाकर शनिवार को शाम करीब चार बजे चकिया के डायरिया पीड़ितों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. शाम करीब सात बजे तक 10 वर्षीया आसमीन खातून पेट दर्द से छटपटा रही थी. हाथ में स्लाइन लगा था. पास खड़े उसके पिता मोहम्मद करीम ने बताया कि दवा खत्म हो गया तो खुद ही स्लाइन बंद करना पड़ा. नसीम के तीन बच्चे पीड़ित है. करीम के तीन बच्चे पीड़ित है. आसमीन के अलावा सात साल के मो जाबुल व छह साल के मो रेयाजुद्दीन का उपचार भी एसकेएमसीएच में ही चल रहा है. उसके भाई मो नसीम के पुत्र 10 साल के मो शहजादा भी डायरिया की चपेट में है.

एक बेड पर तीन बच्चे भर्ती : डायरिया पीड़ित बच्चों को बेड भी नहीं मिल सका. एक बेड पर तीन बच्चों को रखा गया था. मो शकील के पुत्र दानिश व पुत्री तन्नू के साथ ही उसी बेड पर मो शकील की पुत्री रुखसारी खातून को भी भर्ती किया गया था. बेड पर एक कोने में बैठी रुस्तम की पत्नी भी काफी परेशान थी. वहीं एक बेड पर कयामुद्दीन के दो बच्चे 10 साल के मोहम्मद राज व आठ साल के मोहम्मद राजा को भर्ती कराया गया है.

व्यवस्था से असमंजस में थे परिजन

एसकेएमसीएच में बच्चों को भर्ती कराने के तीन घंटे बाद तक परिजन असमंजस में थे. उनका कहना था कि अभी तक डॉक्टर ने बच्चों को नहीं देखा है. वार्ड में राउंड पर जब आएंगे, तभी देख सकेंगे. इलाज के नाम पर सभी को केवल स्लाइन चढ़ाया जा रहा था. किसी को दवा भी नहीं दी गई थी. बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद परिवार के लोग भी परेशान थे. उनका कहना था कि जब तक डॉक्टर नहीं देखेंगे, कैसे पता चलेगा कि क्या परेशानी है.

तीन दिन इलाज के बाद मिली छुट्टी, फिर बिगड़ी हालत : झपहां सीआरपीएफ कैंप के बगल में रहने वाले किशोर राय की पुत्री 11 साल की चुलबुल को एसकेएमसीएच से शुक्रवार को ही छुट्टी मिली थी, लेकिन दुबारा हालत बिगड़ने पर शनिवार को परिजनों ने भर्ती कराया. किशोर राय ने बताया कि चार दिनों से डायरिया से परेशान है. तीन दिन तक यहां भर्ती कराये थे. आराम होने पर शुक्रवार को ही डिस्चार्ज किया गया. आज सुबह से पेट दर्द व दस्त शुरू हो गयी, तो लाकर भर्ती कराना पड़ा.

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