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गैसीफायर से रोशन होंगे जिले के छह हजार घर

मुजफ्फरपुर: जिले के छह हजार घर आनेवाले दिनों में गैसीफायर से उत्पादित बिजली से रोशन होंगे. इसका खाका तैयार कर लिया गया है. गैसीफायर से बिजली उत्पादन शुरू होते ही ये अमली जामा पहन लेगा. गैसीफायर के पैदा होनेवाली बिजली से सामान्य जरूरतों की पूर्ति होगी. सहकारिता विभाग की ओर से इसको लेकर काम किया […]

मुजफ्फरपुर: जिले के छह हजार घर आनेवाले दिनों में गैसीफायर से उत्पादित बिजली से रोशन होंगे. इसका खाका तैयार कर लिया गया है. गैसीफायर से बिजली उत्पादन शुरू होते ही ये अमली जामा पहन लेगा. गैसीफायर के पैदा होनेवाली बिजली से सामान्य जरूरतों की पूर्ति होगी.

सहकारिता विभाग की ओर से इसको लेकर काम किया जा रहा है. विभाग ने ये तय किया है, उत्पादित बिजली का लाभ पैक्स के सदस्यों को प्राथमिकता के आधार पर दिया जायेगा. इसकी एवज में उनसे न्यनतम राशि ली जायेगी. पैक्स सदस्यों से बिजली बचने पर अन्य परिवारों को इसका लाभ दिया जायेगा.

यहां लगे गैसीफायर. बोचहां के नरकटिया, मीनापुर के पैगंबरपुर, बोचहां के पटियासा, सरैया के बसंतपुर दक्षिणी, मुशहरी के मधुबनी, मोतीपुर के इब्राहिमपुर पैक्स में चावल मिल व गैसीफायर बन कर तैयार है. नरकटिया, पैगम्बरपुर व पटियासा में 2008-09 में कृषि विकास योजना से राशि दी गयी थी. आरकेवीवाइ से प्रति गैसीफायर 12 लाख रुपये अनुदान दिये गये थे. इसमें 12 लाख रुपये बैंक से लोन लेना था या फिर पैक्स को लगाने थे. गैसीफायर के साथ चावल मिल भी लगायी जानी थी. इसके पीछे सोच ये थी कि गैसीफायर में प्रयोग के लिए धान की भूसी की जरूरत होती है. अगर गैसीफायर और धान मिल एक साथ रहेंगे, तो भूसी की जरूरत अपने आप पूरी हो जायेगी. इसी उद्देश्य से उन्हीं स्थानों पर गैसीफायर लगाने की मंजूरी दी गयी थी, जहां पर धान मिल खुलनी थी. पटियासा में 2012, नरकटिया में 2013 में चावल मिल शुरू हो गयी. पैगंबरपुर में 2014 में मिल चालू होनेवाली है. इससे पहले 2010-11 में कृषि रोड मैप योजना से एक व गैसीफायर सयंत्र के लिए 14 लाख रुपये अनुदान दिया गया. 14 लाख पैक्स अध्यक्षों ने लगाये. बसंतपुर दक्षिणी, मधुबनी में इसी के तहत गैसीफायर का निर्माण कराया गया. वहीं, इब्राहिमपुर में चावल मिल बनाने का काम अंतिम चरण में है. चावल उत्पादन के लिए पैक्स अध्यक्षों के साथ समझौता किया जा रहा है.

भूसी व डीजल से बनेगी बिजली
गैसीफायर में लोहे की टंकी होती है, जिसमें धान की भूसी को डीजल में भिगोकर डाला जाता है. इसके बाद आग की मदद से बिजली का निर्माण कराया जाता है. यह एक प्रक्रिया के तहत होता है. एक गैसीफायर से 45 केवीए तक बिजली का उत्पादन होता है, जिसे जनरेटर के जरिये आपूर्ति किया जाता है. जिनन स्थानों पर गैसीफायर लगा है, वहां की धान मशीनों को इसी से बिजली का कनेक्शन दिया गया है. अगर धान मशीन चल रही होगी, तब एक सौ घर रोशन होंगे. मशीन बंद होने पर एक हजार घर एक गैसीफायर से रोशन होंगे. इस प्रक्रिया की सबसे विशेष बात ये है कि इसमें डीजल की खफत कम होती है. लागत भी कम आयेगी.

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