मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में छात्रओं के साथ छेड़खानी महंगी पड़ सकती है. विवि प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए महिला उत्पीड़न व हिंसा निरोधक सेल के गठन का फैसला लिया है. यह सेल ‘विशाखा गाइडलाइन’ के आधार पर कार्य करेगी.
गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित की गयी है. इसका मकसद कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करना है. फिलहाल इसके लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. इसमें विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ वैदेही किशोर ठाकुर, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ कुमकुम राय, डॉ कन्नूप्रिया, महिला समाख्या की पूनम कुमारी, डॉ तारण राय, डॉ मंजू सिंह व लोक सूचना पदाधिकारी डॉ रघुनंदन प्रसाद सिंह शामिल हैं. कमेटी विशाखा गाइडलाइन के आधार पर सेल के अधिकार व नियम बनायेगी.
यह आते हैं यौन उत्पीड़न के श्रेणी में
विशाखा गाइडलाइन के तहत कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को परिभाषित किया गया है. इसके तहत महिलाओं से अनचाहा शारीरिक संपर्क, यौन आमंत्रण या विनती, पोर्न फिल्म दिखाना या प्रयास करना अथवा यौन प्रवृत्ति वाला कोई अन्य शारीरिक, लिखित या अलिखित कृत आता है.
क्या है विशाखा गाइडलाइन
1997 में राजस्थान के भतेरी में सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी के साथ सामूहिक बालात्कार की घटना हुई. भंवरी देवी ने दोषियों को सजा दिलाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. पर उसे न्याय नहीं मिला. इसके बाद महिला अधिकार से जुड़ी संस्थान ‘विशाखा’ चार अन्य संस्थानों के साथ मिल कर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन) दायर किया. इसमें केंद्र व राजस्थान सरकार को वादी बनाया गया. लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, जिसे ‘विशाखा गाइडलाइन’ के नाम से जाना जाता है.
छेड़खानी के कई मामले
विवि में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटना आम बात है. पिछले दिनों सरस्वती पूजा में चंदा वसूली के दौरान एलएस कॉलेज, विवि कैंपस, इतिहास व अर्थशास्त्र विभाग में छेड़खानी की घटना हुई थी. इसके कारण विवि को करीब एक सप्ताह के लिए बंद भी कर दिया गया था. इससे पूर्व पिछले वर्ष स्नातक पार्ट थर्ड व पीजी की परीक्षाओं के दौरान भी ऐसी घटना हो चुकी है.