मुजफ्फरपुर : बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए तैयार कचरा प्रबंधन का प्लान कूड़ेदान में चला गया है. पिछले साल ही इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया गया था, लेकिन उस पर कोई पहल नहीं हो सकी. नतीजा, हर रोजा स्कूलों से निकलने वाला कचरा बेकार चला जाता है.
औसतन महीने में 375 क्विंटल कचरा निकलता है, जो किसी न किसी तरह से नष्ट हो जाता है. परिषद की प्लानिंग के तहत अगर विभाग ने काम किया होता, तो स्कूलों में सफाई के साथ खेतों में हरियाली भी नजर आती. विभागीय लोगों का कहना है कि मुख्यालय से कचरा प्रबंधन के लिए मार्गदर्शन मिल गया, लेकिन पिछले सत्र में बजट का प्रावधान नहीं किया गया था. बजट मिलने के साथ ही इस पर काम शुरू हो जायेगा.
कैंपस में रहेगी सफाई, होगा कचरे का सही प्रबंधन : प्राथमिक व उच्च विद्यालयों में हर रोज निकलने वाले कचरे को इधर-उधर नष्ट करने की बजाय एकत्र करके कंपोस्ट खाद बनाया जाना है. इसमें भोजन सामग्री का अवशिष्ट भी होगा. इससे एक तरफ विद्यालय परिसर में साफ-सफाई रहेगी, वहीं कूड़े का सही ढंग से निस्तारण भी हो जाएगा. इसके लिए विद्यालय परिसर में दो बड़े गड्ढे तैयार कराने हैं, जिसमें प्रतिदिन का कचरा डाला जाएगा. परिसर के साथ ही सभी कमरों के बाहर डस्टबीन रखा जाएगा, जिसमें कचरा डालना है. प्रतिदिन सुबह चेतना सत्र के पहले या बाद में डस्टबीन का कचरा गड्ढे में संग्रहित किया जाएगा. सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की जिम्मेदारी होगी कि पंचायत में नियुक्त कृषि सलाहकर की मदद से कचरे का उपयोग करें.
हर माह निकलता है करीब 375 क्विंटल कचरा
जिले में 3400 प्राथमिक व मध्य विद्यालय विद्यालय हैं. अगर तीन हजार स्कूलों में भी योजना शुरू हो गयी, तो महीने में लगभग 375 क्विंटल कचरा एकत्र किया जा सकता है. औसत एक स्कूल में प्रतिदिन पांच किलो कचरा निकलता है. सभी स्कूलों को मिला कर महीने में 15 हजार किलो होगा. इस तरह महीने के 25 दिन में तीन लाख 75 हजार किलो कचरा स्कूलों से निकलता है, जिसका कृषि के लिए उपयोग किया जा सकेगा.
स्कूलों को दिए जायेंगे 1000 रुपये वार्षिक : कचरा प्रबंधन के तहत कंपोस्ट बनाने के लिए स्कूल परिसर में दो गड्ढे के निर्माण के साथ ही अन्य खर्च के लिए विभाग की ओर से प्रत्येक प्राथमिक व मध्य विद्यालय को 1000 रुपये वार्षिक दिये जायेंगे. इसके साथ ही दो बड़े व आठ छोटे डस्टबीन के लिए 520 रुपये सभी विद्यालयों को देना है. इसके अलावा सफाई के लिए अन्य सामग्री की खरीद भी करनी है.