वर्ष 2014 व 2015 में किसानों ने इसका प्रयोग किया था, लेकिन किसानों के अनुसार यह दवा खरपतवार नियंत्रण में सफल नहीं हुई. इसके छिड़काव के बाद भी धान के खेत में खरपतवार निकल आये थे. इससे किसानों को व्यापक पैमाने पर आर्थिक क्षति हुई थी. लेकिन, कृषि विभाग व राजेंद्र कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने तर्क देकर किसानों के आक्रोश को शांत कर दिया था.
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खरपतवार के नियंत्रण में फेल पेंडिमेथिलिन दवा की अनुशंसा
मुजफ्फरपुर: कृषि विभाग ने धान की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण में फेल पेंडिमेथिलिन दवा की अनुशंसा फिर से कर दी है. इस दवा की अनुशंसा कर कृषि विभाग फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. इसकी अनुशंसा खरीफ वर्ष 2017-18 में तनावरोधी धान प्रभेद के प्रत्यक्षण वाली खेती के लिए की गयी […]
मुजफ्फरपुर: कृषि विभाग ने धान की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण में फेल पेंडिमेथिलिन दवा की अनुशंसा फिर से कर दी है. इस दवा की अनुशंसा कर कृषि विभाग फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. इसकी अनुशंसा खरीफ वर्ष 2017-18 में तनावरोधी धान प्रभेद के प्रत्यक्षण वाली खेती के लिए की गयी है. लेकिन, इस दवा को लेकर पूर्व के वर्षों में कई बार विवाद हो चुका है.
वर्ष 2014 व 2015 में किसानों ने इसका प्रयोग किया था, लेकिन किसानों के अनुसार यह दवा खरपतवार नियंत्रण में सफल नहीं हुई. इसके छिड़काव के बाद भी धान के खेत में खरपतवार निकल आये थे. इससे किसानों को व्यापक पैमाने पर आर्थिक क्षति हुई थी. लेकिन, कृषि विभाग व राजेंद्र कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने तर्क देकर किसानों के आक्रोश को शांत कर दिया था.
दवा के पक्ष में उतरे थे अधिकारी व वैज्ञानिक : कृषि विभाग का कहना था कि किसानों ने कट नोजल से पेंडिमेथिलिन दवा का छिड़काव नहीं किया था. दवा छिड़काव के बाद जमीन के उपरी हिस्से में हल्की परत बननी चाहिए, जो नहीं बन सकी थी. इस कारण यह दवा काम नहीं कर पायी. वहीं, कृषि वैज्ञानिकों का तर्क था कि इस दवा के प्रयोग के बाद कम से कम 24 घंटे तक बारिश नहीं होनी चाहिए. किसानों ने दवा का छिड़काव किया, उसके करीब चार-पांच घंटे बाद बारिश हो गयी थी. इससे दवा बेअसर हो गयी.
किसानों से हुई थी साजिश : इधर, किसानों का कहना था कि वैज्ञानिक जानते थे कि धान की खेती के वक्त बारिश होती है. फिर ऐसी दवा के उपयोग की सलाह किसानों को क्यों दी गयी. वहीं, सभी किसानों के पास कट नोजल मशीन नहीं थी. यह भी विभाग को पता था. इसके बावजूद किसानों के साथ साजिश कर उनका आर्थिक शोषण किया गया. इतना कुछ होने के बाद भी कृषि विभाग ने फिर से इसी दवा के उपयोग की अनुशंसा प्रत्यक्षण मॉडल के लिए की है.
पेंडिमेथिलिन दवा की अनुशंसा पौधा संरक्षण निदेशालय से की गयी है. पूर्व में इस दवा से यहां के किसानों को हुई क्षति से विभाग को अवगत करायेंगे. किसानों को क्षति होने से बचाने का प्रयास करेंगे.
विकास कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी
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