जबकि विधान पार्षद दिनेश सिंह की ओर से भी मेयर व उपमेयर पद का नाम लगभग तय कर लिया गया है. हालांकि नाम का खुलासा नहीं किया गया है. मेयर पद की रेस में वार्ड एक से चुनाव जीते सुरेश कुमार व उपमेयर पद के लिए वार्ड-41 से पार्षद सीमा झा भी हैं. दोनों गुट लगातार अपने-अपने पक्ष में पार्षदों का आंकड़ा बहुमत से अधिक होने का दावा कर रहे हैं. विधायक सुरेश शर्मा व पूर्व उपमेयर विवेक कुमार ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में 37 पार्षदों को अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं. जबकि दूसरे पक्ष से इस मुहिम में लगे पूर्व मेयर समीर कुमार व जदयू नेता भूषण झा 32 पार्षदों को अपने पक्ष में बता रहे हैं.
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किसके हाथ होगी नगर निगम की बागडोर?
मुजफ्फरपुर: नगर निगम के मेयर व उपमेयर के चुनाव को लेकर एक दिन शेष बचा है. पार्षद स्पष्ट रूप से अब तक दो गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं. एक तरफ विधायक सुरेश शर्मा किंगमेकर की भूमिका में दिख रहे हैं, तो दूसरी ओर अपरोक्ष रूप से विधान पार्षद दिनेश सिंह हैं. दिनेश सिंह […]
मुजफ्फरपुर: नगर निगम के मेयर व उपमेयर के चुनाव को लेकर एक दिन शेष बचा है. पार्षद स्पष्ट रूप से अब तक दो गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं. एक तरफ विधायक सुरेश शर्मा किंगमेकर की भूमिका में दिख रहे हैं, तो दूसरी ओर अपरोक्ष रूप से विधान पार्षद दिनेश सिंह हैं. दिनेश सिंह के साथ पूर्व मेयर समीर कुमार, जदयू नेता भूषण झा व पूर्व जिप उपाध्यक्ष शाह आलम शब्बू हैं, जो खुले तौर पर मोरचा संभाल चुके हैं. विधायक की ओर से मेयर पद के उम्मीदवार नंद कुमार साह व उप मेयर पद के दावेदार मान मर्दन शुक्ला हैं.
बिगड़ सकता है खेल
यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि 10 से 12 पार्षद ऐसे हैं, जो आकड़ों के खेल को बिगाड़ सकते हैं. बुधवार सुबह से लेकर रात भर एक-दूसरे को अपने पक्ष में करने के लिए जोड़-तोड़ होता रहा. नंद कुमार साह व मान मार्दन शुक्ला के पक्ष में विधायक सुरेश शर्मा, सांसद अजय निषाद, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, पूर्व उपमेयर विवेक कुमार, डॉ भगवान लाल सहनी व सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी सामने दिख रहे हैं. मुकेश सहनी बुधवार को मुजफ्फरपुर पहुंचकर इस मुहिम में लग गए.
गुटों में हो सकता भितरघात
राजनीतिक हल्कों में जो चर्चाएं चल रही हैं, उसके अनुसार इस चुनाव को लेकर बने दोनों गुटों के अंदर अंदरूनी विवाद भी है. एक गुट में मेयर पद के उम्मीदवार अंदर ही अंदर अपने गुट के उप मेयर पद के उम्मीदवार को साथ नहीं देखना चाह रहे हैं, ताे एक गुट में डिप्टी मेयर को लेकर होड़ मची है. जिसके कारण डिप्टी मेयर व मेयर दोनों पद पर भितरघात की संभावना दिख रही है.
पहले भी हो चुका है भितरघात
वर्ष 2002 व 2007 के चुनाव में भी भितरघात का मामला सामने आया था. 2002 में 38 में से 21 पार्षद मेयर पद के उम्मीदवार मान मार्दन शुक्ला के साथ मतदान करने गए और साथ भी निकले. लेकिन मात्र उन्हें 17 वोट आया था. जबकि समीर कुमार के साथ 15 पार्षद वोटिंग के लिये गये थे. लेकिन उनके पक्ष में 19 वोट आये थे. जबकि दो पार्षद ने मतदान भी नहीं किया था. इसी तरह 2007 में कपिला देवी के साथ 30 पार्षद एक साथ मतदान करने पहुंचे. जबकि उन्हें मात्र 18 वोट ही मिला था और 20 वाेट विमला देवी तुलस्यान को मिल गया था. इससे वे मेयर बनी.
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