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शहर की सड़कें गांव से भी बदतर

परेशानी. जर्जर सड़कों पर वाहनों का परिचालन तो दूर, पैदल भी चलना दूभर मुंगेरशहर के दर्जन भर सड़कों को देख कर शायद आप यह भूल जायेंगे कि हम मुंगेर नगर निगम क्षेत्र की सड़कों पर चल रहे हैं. टूटी-फूटी सड़कों के बीच कीचड़ व गड्ढे में इन सड़कों पर वाहनों का चलना तो दूर लोगों […]

परेशानी. जर्जर सड़कों पर वाहनों का परिचालन तो दूर, पैदल भी चलना दूभर

मुंगेरशहर के दर्जन भर सड़कों को देख कर शायद आप यह भूल जायेंगे कि हम मुंगेर नगर निगम क्षेत्र की सड़कों पर चल रहे हैं. टूटी-फूटी सड़कों के बीच कीचड़ व गड्ढे में इन सड़कों पर वाहनों का चलना तो दूर लोगों को पैदल चलने के लिए भी उछल-कूद करना पड़ता है. वर्षों से महद्दीपुर व बिंदवारा के लोगों को इसी सड़कों के सहारे रास्ता तय करनी पड़ रही. लेकिन जनता की पीड़ा से न तो निगम प्रशासन को कोई मतलब है और न ही जिला प्रशासन को.
मुंगेर : मुंगेर शहर का दक्षिणी इलाका यूं तो विकास के मामले में नगर निगम के हासिये पर रहा है और यहां के लोगों को सामान्य नागरिक सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. जर्जर सड़कें, बजबजाती नालियां, कूड़ों का ढेर इस क्षेत्र की पहचान बन गयी है. क्षेत्र के लोगों को न तो शुद्ध पेयजल नसीब हो पा रहा और न ही नयी जलापूर्ति योजना में इस क्षेत्र को शामिल किया गया है. कई मायने में तो यह पता ही नहीं चलता यह इलाका नगर निगम का हिस्सा है.
सड़क सरकार की प्राथमिकता सूची में है और मुख्यमंत्री के सात निश्चय में भी यह शामिल है. लेकिन मुंगेर शहर की दर्जन भर सड़कों की स्थिति ग्रामीण सड़कों से भी बदतर है. अब तो गांव की सड़कें भी चिकनी हो गयी है. पिछले पांच वर्षों से मुंगेर शहर के वार्ड संख्या 42 व 37 के अंतर्गत आने वाले महद्दीपुर मुख्य पथ पूरी तरह बदहाल है.
टूटी-फूटी सड़कों व गड्ढों के बीच थोड़ी सी भी बारिश होने पर सड़क पूरी तरह कीचड़युक्त हो जाता है. जिस पर चलना बड़ा ही मुश्किल भरा है. महद्दीपुर के पूर्व वार्ड पार्षद एवं स्वतंत्रता सेनानी राणा ऋषिदेव सिंह कहते हैं कि यह सड़क जानलेवा हो गया है. दो वर्ष पूर्व सड़क के गड्ढे में गिर कर उसके पुत्र का पैर टूट गया था. आये दिन बच्चे गिर कर घायल होते रहते हैं. अब हाल यह है कि इस सड़क का उपयोग करना लोग छोड़ दिये. घुम कर दूसरे सड़क से आते-जाते हैं. लेकिन जिन लोगों का घर इस सड़क के किनारे है उसकी तो मजबूरी है यहां रहना.
निगम प्रशासन को नहीं है कोई वास्ता
शहर के दर्जन भर सड़कों की स्थिति बदतर है जिस पर चलना मुश्किल भरा हो गया है. चाहे बिंदवारा शर्मा टोली का सड़क हो या फिर कासिम बाजार का मुख्य पथ. फौजदारी बाजार, मोगल बाजार, खोजा बाजार की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है. लेकिन इन सड़कों की दशा सुधारने के लिए निगम प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा
. अलबत्ता ठेकेदारी प्रथा के तहत रुपया कमाने के लिए कासिम बाजार चौराहा से खोजा बाजार पथ में पिछले दिनों एक पुलिया का निर्माण किया गया. जिसकी शायद आवश्यकता भी नहीं थी. वह पुलिया पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है और अब लोगों को आधे सड़क से ही आवागमन करना पड़ता है.

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