धरहरा : एक ओर जहां सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कल्याणकारी योजना चला रखी है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग द्वारा पहाड़ व जंगलों की सुरक्षा के लिए केयर टेकर बहाली में नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है.
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नियमों को दरकिनार कर गैर आदिवासी की हुई बहाली
धरहरा : एक ओर जहां सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कल्याणकारी योजना चला रखी है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग द्वारा पहाड़ व जंगलों की सुरक्षा के लिए केयर टेकर बहाली में नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है. आदिवासी बाहुल्य मथूरा, सतघरवा, सवैया, बंगलवा […]
आदिवासी बाहुल्य मथूरा, सतघरवा, सवैया, बंगलवा सहित कई अन्य पहाड़ व वन की सुरक्षा के लिए केयर टेकर की बहाली निकाली गयी. जिसमें नियमानुसार आदिवासी युवाओं को लेना है. लेकिन यहां नियमों को दरकिनार करते हुए गैर आदिवासियों की नियुक्ति की गयी. आजिमगंज पंचायत के विरोजपुर, पोखरिया का रहने वाला बैजनाथ यादव जो आदिवासी गांव स्थित ईको विकास समिति मथुरा के अध्यक्ष पद पर है.
उसे केयर टेकर के रुप में बहाल कर लिया गया. जबकि आदिवासी गांव मथुरा में कई शिक्षित आदिवासी युवा बेरोजगार है. बंगलवा पैक्स अध्यक्ष व ईको विकास समिति सतघरवा के अध्यक्ष उदय कुमार, मोहनपुर के अध्यक्ष मनोरंजन सिंह, बंगलवा के अध्यक्ष युगल यादव को 6000 मासिक मानदेय पर केयर टेकर के तौर पर बहाल किया गया. जबकि गैर आदिवासी की बहाली केयर टेकर के रुप में नहीं किया जाना है. इससे साफ जाहिर होती है कि वन विकास के अधिकारियों ने किस तरह से आदिवासी युवाओं से रोजगार के अवसर छिन कर गैर आदिवासी को दे दिया गया.
कहते हैं अधिकारी
वन प्रमंडल पदाधिकारी नीरज नारायण ने कहा कि एक व्यक्ति लाभ के दो पदों पर नहीं रह सकते. पहाड़ों व वनों की सुरक्षा के लिए केयर टेकर के रुप में नियुक्ति करने के लिए वनों के क्षेत्र पदाधिकारी सक्षम है. केयर टेकर एक साल की अवधि वाला एक अस्थायी पद है. ईको विकास समिति के अध्यक्ष का पद लाभ का पद नहीं है.
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