मां दुर्गा स्थानों के महात्म पर रिपोर्ट :- 151 वर्षों से स्थापित हो रही मोगल बाजार की मां दुर्गा फोटो संख्या : 1फोटो कैप्सन : मोगल बाजार दुर्गा स्थान में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा मुंगेर : सन 1864 ई से मोगल बाजार दुर्गा स्थान में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही है. शारदीय नवरात्र के मौके पर दुर्गा स्थान में आस्था का आवेग फूट पड़ा है और श्रद्धालु नर-नारी की भीड़ उमड़ रही है. बताया जाता है कि 1864 ई में गोपाल लाल वर्णवाल के पूर्वज प्रतिमा विसर्जन के लिए गंगा घाट गये थे. तभी बुजुर्गों ने गंगा घाट से मां दुर्गा का ठठ्ठर लाया और मोगल बाजार दुर्गा स्थान में स्थापित कर दिया. तब से मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाने लगी. मान्यता यह भी है कि मां दुर्गा से मन्नतें मांगते हैं और मन्नतें पूरी होने पर मां को दान स्वरूप स्वर्ण-आभूषण का भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है. मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने के लिए गोपाल लाल वर्णवाल ने जमीन दान में दिया और मंदिर को भव्य रूप दिया गया. आस्था और विश्वास का प्रतीक यह मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. जहां शाम होते ही मैया की आरती के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. मंदिर परिसर को भी आकर्षक ढंग से सजाया-संवारा गया है. श्री श्री 108 दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष बलवंत शर्मा, अरुण कुमार गुप्ता एवं सचिव बबलू मंडल, उपाध्यक्ष भूषण मंडल, पीयूष कुमार एवं पूजा मंत्री राजीव कुमार पूजा कार्यक्रम को सफल बनाने में सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं. साथ ही मंदिर की व्यवस्था में कुंदन कुमार, सौरभ कुमार योगदान दे रहे हैं. ——————————मां वैष्णवी दुर्गा की पूजा से होती है मुरादें पूरी फोटो संख्या : 2फोटो कैप्सन : मां वैष्णवी कामना पीठ, टेटियाबंबर टेटियाबंबर : गंगटा मोड़ स्थित मां वैष्णवी दुर्गा सच्चे मन से अपने दर पर आने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी करती है. वैष्णवी दुर्गा आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है. दुर्गा पूजा के मौके पर यहां पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की तादाद काफी बढ़ जाती है. मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर को दुर्गा पूजा को लेकर भव्य तरह से सजाया गया है. पूजा समिति के अध्यक्ष अमरदीप सिंह एवं सचिव पप्पू सिंह ने बताया कि वैष्णवी दुर्गा की स्थापना राजा दरभंगा महाराज ने वन विभाग गंगटा के समीप कराया था. जमींदार बंगाली प्रसाद सिंह द्वारा मां वैष्णवी दुर्गा की प्रतिमा प्रत्येक वर्ष बनायी जाती थी. वर्ष 1958 में जमींदार का इकलौता पुत्र प्रकृति की मनोरम छटा को देखने भीमबांध गया. जहां स्नान करने के क्रम में उसकी मौत हो गयी. जिसके कारण जमींदार ने मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने से अपना नाता तोड़ लिया. इसके बाद गंगटा पंचायत के तहसीलदार छपरा निवासी भुनेश्वर राय ने स्थानीय लोगों की मदद से पुन: मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने लगे. वर्ष 1960 में योगेंद्र प्रसाद सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान दी. जगदीश सिंह, सदानंद सिंह, कमलेश्वरी सिंह के सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण कराया गया. यहां यह विशेषता है कि मां दुर्गा के दरबार में बकरे की बलि नहीं पड़ती है. जिसके कारण मां को वैष्णवी दुर्गा के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2008 में मंदिर की देखरेख के लिए पूजा समिति का गठन किया गया. उसके बाद समिति के सदस्यों द्वारा ही पूजा की व्यवस्था होने लगी. लोगों का आस्था है कि यहां जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगा जाता है वह पूरा होता है. जिसके कारण यहां प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जाती है. ——————————-मन की मुरादें पूर्ण करती है धरहरा की नवदुर्गा फोटो संख्या : 3फोटो कैप्सन : नवदुर्गा मंदिर, धरहरा धरहरा : पहाड़ की तराई में अवस्थित नव दुर्गा मंदिर धरहरा की स्थापना 1965 ई में की गयी. 1964 ई में इस मंदिर की नींव रखी गयी. 1650 रुपये में इस मंदिर की स्थापना करायी गयी और तब से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. मंदिर के संस्थापक कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि बिना चंदा लिये ही प्रत्येक वर्ष मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण एवं पूजा-पाठ का खर्च वे स्वयं वहन करते हैं. श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर स्वेच्छा पूर्वक सहयोग भी किया जाता है. आस्था और विश्वास का प्रतीक नवदुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. सुबह होते ही श्रद्धालु वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना करते हैं. पुरोहित बेचू झा का कहना है कि मां की लीला अपरमपार है. जो भक्त यहां आस्था लेकर आते हैं मैया उनकी मुरादें जरूर पूर्ण करती है. ————————–मां काली के मंदिर का इतिहास पुराना एवं समृद्ध फोटो संख्या : 4फोटो कैप्सन : सार्वजनिक काली मंदिर डीह जमालपुर जमालपुर : सार्वजनिक काली मंदिर डीह जमालपुर का इतिहास काफी पुराना एवं समृद्ध है. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है. यहीं कारण है इसकी प्रसिद्धि काफी बढ़ गया है. दुर्गा पूजा के दौरान यहां भव्य काली की प्रतिमा स्थापित होती है. जहां पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रहती है. 200 वर्ष से सार्वजनिक काली मंदिर डीह जमालपुर में काली की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि अंग्रेज शासनकाल में जब रेल कारखाना की स्थापना हुई थी तो डीह जमालपुर ही एक ऐसा मुहल्ला था जहां आबादी बसती थी. उसी समय मिट्टी की पीठ स्थापित कर कर लोग काली की पूजा-अर्चना करते आ रहे है. समय बीतता गया और चारों ओर आबादी भी बसने लगी. लालचंद चौधरी के परिजनों ने मंदिर निर्माण के लिए जमीन दी. जिस पर आज भव्य मंदिर खड़ा है. मंदिर में यू तो बेशकीमती पत्थर से निर्मित काली मां की प्रतिमा स्थापित है. लेकिन दुर्गा पूजा में हर वर्ष यहां काली की प्रतिमा स्थापित होती है. बड़ी काली, छोटी काली एवं बड़ी दुर्गा मां के बाद जमालपुर का सार्वजनिक काली प्रतिमा चौथा स्थान पर है. समिति के अध्यक्ष नगर निगम की उप मुख्य पार्षद डॉ सत्यवती देवी, सचिव ललन कुमार पूजा की तैयारी में लगी हुई है. जबकि पंडित त्रिलोकी, पुजारी आनंद मामा एवं नगर निगम के पूर्व चेयरमैन भरत यादव ने बताया कि आज तक जो भी भक्त यहां सच्चे दिल से मनोकामना मांगते है. वह पूरी होती है. आज भी लालचंद चौधरी के परिवार के सदस्य द्वारा पहली पूजा की जाती है.
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मां दुर्गा स्थानों के महात्म पर रिपोर्ट :-
मां दुर्गा स्थानों के महात्म पर रिपोर्ट :- 151 वर्षों से स्थापित हो रही मोगल बाजार की मां दुर्गा फोटो संख्या : 1फोटो कैप्सन : मोगल बाजार दुर्गा स्थान में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा मुंगेर : सन 1864 ई से मोगल बाजार दुर्गा स्थान में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही है. […]
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