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सूख गये जिले के 541 तालाब, मछली व्यवसाय ठप
मुंगेर: मौसम की मार से जहां जलस्तर नीचे भाग रहा है. वहीं छोटे-छोटे नदी व बड़े-बड़े तालाब सूख चुके हैं. मुंगेर जिले में 541 तालाब पूरी तरह सुख चुके हैं, जिसमें 128 मत्स्य विभाग के सरकारी तालाब भी हैं. तालाबों के उचित रखरखाव नहीं होने के कारण तालाब में एक बूंद पानी नहीं है, जिससे […]
मुंगेर: मौसम की मार से जहां जलस्तर नीचे भाग रहा है. वहीं छोटे-छोटे नदी व बड़े-बड़े तालाब सूख चुके हैं. मुंगेर जिले में 541 तालाब पूरी तरह सुख चुके हैं, जिसमें 128 मत्स्य विभाग के सरकारी तालाब भी हैं. तालाबों के उचित रखरखाव नहीं होने के कारण तालाब में एक बूंद पानी नहीं है, जिससे मछली व्यवसाय तो चौपट हो ही गयी, मवेशियों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा.
सूख चूके है 80 प्रतिशत तालाब : जिले में मत्स्य विभाग के 204 जलकर हैं, जिसमें 160 तालाब है. जबकि निजी क्षेत्र में 517 तालाब है, जिसमें 80 प्रतिशत तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं. भागते जल स्तर के कारण लगातार तालाब सूखते जा रहे है. कुछ तालाब वैसे ही बचे है जहां बोरिंग से पानी तालाब में डालने की व्यवस्था है. लेकिन वैसे मत्स्य पालक भी इस भीषण गरमी के कारण तालाब को मोटर के सहारे पानी भरने में असमर्थ हो रहे हैं.
नहीं हो रहा उचित रखरखाव : जिले में सरकारी व निजी क्षेत्र में जो तालाब हैं उसके रखरखाव की व्यवस्था बेहतर नहीं है. वर्षा का पानी या बाढ़ का पानी तालाब में भर जाता है. किंतु गरमी का मौसम आते ही तालाब सुखने लगता है. क्योंकि तालाब का जल स्नेत भूमि के अंदर से नहीं है. फलत: ज्येष्ठ एवं वैशाख माह में सभी तालाब सूख जाते हैं. उसे उचित स्तर पर गहरा करने की दिशा में भी कोई पहल नहीं की जाती.
बारिश का है इंतजार : तालाब मालिकों को अब बारिश का ही सहारा है. वे बारिश का इंतजार कर रहे है कि बारिश के बाद तालाब भरेगा और वे पुन: मछली जीरा डाल कर अपना व्यवसाय प्रारंभ करेंगे. लेकिन इस बार अनुमान है कि मॉनसून के 12 प्रतिशत कमजोर होने के कारण बारिश की संभावना भी कम हो गयी है. जिससे मछली व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है.
लाखों का व्यवसाय प्रभावित : तालाब और संपर्क नदी-नाले के सूखने के कारण मछली व्यवसाय पर बुरा असर पर रहा है. जिससे लाखों रुपये का नुकसान इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को हो रहा है. इतना ही नहीं लोग नये रोजगार की भी तलाश कर रहे हैं.
पशुओं के सामने पानी की समस्या : ताल-तलैया सूखने के कारण पशुओं के सामने पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. नदी नाले सुख चुके है. तालाब भी सुख चुका है. जिसके कारण पशुओं को पानी नहीं मिल रहा है. क्योंकि पशु खेतों में चारा खाने के बाद तालाब में चले जाते थे. जहां पानी पीने के साथ ही घंटों पानी में बैठते थे. लेकिन तालाब सूखने के कारण अब उनके समक्ष भी पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
कहते हैं अधिकारी : जिला मत्स्य पदाधिकारी गणोश राम ने कहा कि हर वर्ष गरमी में तालाब सुख जाते हैं. जहां बोरिंग की व्यवस्था होती है. वहीं तालाब में पानी रहता है. उन्होंने कहा कि गंगा से निकलने वाले नदी-नाले भी सूख जाते है. बारिश के समय में पुन: पानी का फ्लो बढ़ जाता है.
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