- जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग उदासीन
- मंथर गति से निर्देश का हो रहा कार्यान्वयन
- 25 दिसंबर की रात जिलाधिकारी ने सदर अस्पताल का किया था निरीक्षण, मिली थीं कई अनियमितताएं
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डीएम के निर्देश के नौ दिनों बाद सीएस ने मांगा स्पष्टीकरण
जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग उदासीन मंथर गति से निर्देश का हो रहा कार्यान्वयन 25 दिसंबर की रात जिलाधिकारी ने सदर अस्पताल का किया था निरीक्षण, मिली थीं कई अनियमितताएं मुंगेर : डीएम के निर्देश के अनुपालन में स्वास्थ्य विभाग उदासीन है. 25 दिसंबर की रात डीएम ने सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया […]
मुंगेर : डीएम के निर्देश के अनुपालन में स्वास्थ्य विभाग उदासीन है. 25 दिसंबर की रात डीएम ने सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था और अनियमितता पाये जाने के बाद अगले ही दिन सिविल सर्जन को जिलाधिकारी की ओर से निर्देश जारी करते हुए संबंधित लापरवाह अस्पताल उपाधीक्षक, अस्पताल प्रबंधक सहित अन्य कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगने और उस संदर्भ में आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. लेकिन जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद सिविल सर्जन मंथर गति से कार्रवाई को आगे बढ़ा रहे हैं.
शायद इसी को सरकारी कार्यों की कार्य संस्कृति कहते हैं. जिलाधिकारी के निर्देश के आलोक में सिविल सर्जन ने जिन पांच स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों से स्पष्टीकरण मांगा है. उसमें अस्पताल के अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार, अस्पताल प्रबंधक तौसिफ हसनैन, अस्पताल के भंडारपाल रामानुज सहित दो अन्य शामिल हैं.
वैसे जिलाधिकारी के निर्देश के आलोक में कई स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन पर भी रोक लगाया गया है. ताकि वे अपनी जिम्मेदारी को समझ सके. लेकिन जिस प्रकार मंथर गति से स्पष्टीकरण की प्रक्रिया चल रही है वह विभाग की लापरवाही को सीधे तौर पर दर्शा रहा है.
25 दिसंबर की रात डीएम ने किया था औचक निरीक्षण : विदित हो कि 25 दिसंबर की रात डीएम राजेश मीणा ने सदर अस्पताल मुंगेर का औचक निरीक्षण किया था. निरीक्षण में उन्होंने सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में दो मरीज चकित्सारत थे. लेकिन बेड पर उन्हें चादर उपलब्ध नहीं कराया गया था.
जहां-तहां फर्श पर गंदगी भी पाई गयी. साथ ही आपातकालीन कक्ष में उपस्थित एक कर्मी को छोड़ कर अन्य कोई कर्मी अपना परिचय पत्र नहीं लगाया था. डीएम आईसीयू वार्ड का जब निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां भरती मरजी के परिजनों के द्वारा बताया गया था कि मरीज को अस्पताल द्वारा दवा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
दवा बाहर से खरीदना पड़ रहा है. यहां तक कि 5 एमएल का सिरिंज भी बहार से खरी कर लाना पड़ता है. दवा भंडारण पंजी में 24 दिसंबर तक का ही दवा की इंट्री थी. जबकि 25 दिसंबर के किसी पाली का कोई भी आंकड़ा अंकित नहीं था.
जबकि मरीजों को दिये जा रहे खाना की गुणवत्ता भी नहीं पाया गया था. जिस पर डीएम काफी नाराज हुए थे. निरीक्षण में मिले गड़बड़ियों पर डीएम ने नाराजगी जताते हुए सीएस को व्यवस्था में सुधार को लेकर पत्र भेज कर कई आदेश दिया.
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