जमालपुर : शुक्रवार की प्रातः लगभग 8:45 बजे ईस्ट कॉलोनी थाना अंतर्गत पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल का क्षेत्र गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े यहां दो व्यक्तियों को गोलियों से छलनी कर दिया. मृतकों में एक रेलकर्मी तथा इस्ट कॉलोनी थाना क्षेत्र के टेढ़ी गली मुंगरौड़ा निवासी दिलीप साह का 32 वर्षीय पुत्र नंदन कुमार एवं दूसरा स्टेडियम रोड निवासी राकेश कुमार सिंह शामिल है. इस घटना ने जहां जमालपुर के सबसे सुरक्षित इस्ट कॉलोनी के सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया. वहीं घटना से रेलकर्मियों में दहशत व्याप्त है. जिस प्रकार मोटर साइकिल सवार अपराधी घटना को अंजाम देकर भाग निकला उससे पुलिस व आरपीएफ की चौकसी का भी अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
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गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रायी लौह नगरी जमालपुर
जमालपुर : शुक्रवार की प्रातः लगभग 8:45 बजे ईस्ट कॉलोनी थाना अंतर्गत पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल का क्षेत्र गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े यहां दो व्यक्तियों को गोलियों से छलनी कर दिया. मृतकों में एक रेलकर्मी तथा इस्ट कॉलोनी थाना क्षेत्र के टेढ़ी गली मुंगरौड़ा निवासी दिलीप साह का 32 […]
जमालपुर का इस्ट कॉलोनी सबसे सुरक्षित इलाका माना जाता है. यहां जहां रेलवे के वरीय अधिकारियों का आवास है. वहीं पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी रहते हैं. इसी इस्ट कॉलोनी में बीएमपी 9 के समादेष्टा का आवास है. वहीं मुंगेर के एएसपी का भी आवास है. इतना ही नहीं पूरा क्षेत्र रेलवे सुरक्षा बल अर्थात आरपीएफ के कब्जे में है. बावजूद शुक्रवार की सुबह अपराधियों ने पूरी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए बड़ी घटना को अंजाम दिया. इस घटना ने इस्ट कॉलोनी क्षेत्र में रहने वाले रेल अधिकारियों को सोचने पर विवश कर दिया है.
गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ ही फैला खौफ: सामान्य तौर पर 9:00 बजे का समय रेलवे अस्पताल के गेट पर भीड़ भाड़ वाला होता है. रेलवे अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन या तो नाश्ता पहुंचाने आते हैं अथवा इस दौरान उनका हाल-चाल लेने पहुंचते हैं. इस भीड़ भाड़ वाले समय में अपराधियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी करने से खौफ व्याप्त हो गया है. वहां पर फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर भाग निकले. रेलवे अस्पताल के गेट से महज 5 फीट की दूरी पर रेलकर्मी नंदन गिरा पड़ा हुआ था. परंतु उन्हें देखने वाला कोई नहीं था. वहीं पास के मंदिर के पीछे खून से लथपथ राकेश कुमार सिंह गंभीर अवस्था में गिरा था. बताया जाता है कि पहले तो दो-दो
व्यक्तियों को एक साथ गोली लगने की घटना से दहशत में पड़े राहगीर भौंचक रह गये. इस बीच किसी ने वहां अस्पताल के चिकित्सकोंको खबर की. जिसके बाद चिकित्सकों ने नंदन को मृत घोषित कर दिया. जबकि गंभीर रूप से राकेश को ऑपरेशन थिएटर पहुंचाया गया.
अपने सहकर्मी से मिलने गया था नंदन: घटना के बाद मृतकों के परिजन दहाड़ मार कर रो रहे थे. इस कारण उनसे कोई जानकारी नहीं मिल पायी. परंतु बताया जाता है कि नंदन पूर्वी रेलवे कर्मचारी संघ कारखाना शाखा का एक सक्रिय सदस्य था. शुक्रवार को उसके एक सहकर्मी साकेत कुमार दुर्घटना की चपेट में आकर घायल हो गया था. नंदन को ज्योंही अपने सहकर्मी के घायल होने की जानकारी मिली तो वह उसे देखने रेलवे अस्पताल पहुंच गया. उसे वहां देख अपराधियों को मौका मिला और उसने उसे गोलियों से छलनी कर डाला.
हालांकि यह भी बताया गया कि इससे पूर्व भी उस पर जानलेवा हमला हुआ था. तब वह बच गया था परंतु शुक्रवार को वह अपराधियों का शिकार हो गया.
नंदन को 5 और राकेश को लगी थी दो गोली : ऑपरेशन थिएटर में डॉ जेके प्रसाद ने बताया कि अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने ही नंदन की मौत हो चुकी थी. इस बीच उसके शव के पास विलाप कर रहे उसके परिजनों ने उसके शरीर में कोई हरकत पाया और उसे ऑपरेशन थिएटर लाया गया. परंतु चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उन्होंने बताया कि नंदन के शरीर पर 5 गोलियों का जख्म पाया गया. इनमें दायीं ओर छाती में तीन गोलियां, पेट में एक गोली और गर्दन पर एक गोली मारी गई थी. जबकि राकेश के पेट में दाएं और बाएं एक-एक गोली का जख्म पाया गया था. उन्होंने बताया कि उसे वेंटिलेशन पर रखा गया था. परंतु चिकित्सकों का हर प्रयास विफल हो गया.
कहते हैं एएसपी
घटना के संदर्भ में एएसपी हरिशंकर प्रसाद ने बताया कि घटना को अंजाम देने के लिए लगभग सात अपराधी 4 मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि अपराधी गिरोह की शिनाख्त कर ली गयी है और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस द्वारा 2 टीम गठित की गयी है.
तीन घंटे तक मौत से राकेश ने किया संघर्ष
घटना के बाद 9:10 बजे राकेश को ऑपरेशन थिएटर में लाया गया. वहां डॉ जेके प्रसाद, डॉ अमित साहू, डॉ बीके जायसवाल और डॉ उमेश की टीम ने उसे बचाने का भरसक प्रयास किया. जब चिकित्सकों को लगा कि उसमें सांस बाकी है और उसे एक खून की जरूरत है तो खून की व्यवस्था करने को कहा गया और युवाओं की फौज खून देने के लिए तैयार हो गई. इस बीच मुंगेर से डॉ सुधीर कुमार और डॉक्टर फैजउद्दीन को बुलाया गया. परंतु 12:35 बजे राकेश कुमार ने अंतिम सांस ली.
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