मधुबनीः कोडीनयुक्त कफ सीरप के बाद अब एंटीबॉयोटिक सहित 46 दवाओं की बारी. औषधि नियंत्रण प्रशासन भारत सरकार ने ताजा आदेश में एंटीबायोटिक सहित 46 दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब इन दवाओं को सिर्फ निबंधित डॉक्टरों के प्रिसकिप्सन पर ही मरीजों को दवा दुकान से दी जायेगी.
इसी तरह से 46 तरह की अन्य दवाएं भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर की परची पर ही दवा दुकानों से दी जायेगी. पिछले सप्ताह से ही यह आदेश प्रभाव में आ गया है. जिला औषधि नियंत्रण प्रशासन का कहना है कि एंटीबॉयोटिक सहित सभी अन्य 46 तरह की दवाएं जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है दवा दुकानों में अनिवार्य रूप से रहेगी पर इसे पहले की तरह अब बिना रजिस्टर्ड डॉक्टर के प्रेसकिप्सन के नहीं बेचा जायेगा. मरीजों को जो कैस मेमो दी जायेगी उसमें दवा प्रेसक्राइब करने वाले डॉक्टर का नाम,मरीज का नाम व बीमारी के संबंध में जानकारी रहेगी.
हानिकारक है दुरुपयोग
एंटीबॉयोटिक के दुरुपयोग से मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. बार बार एक ही एंटीबॉयोटिक के लेने से मरीज ड्रग रेसिस्टेंट बन जाता है. कहना है सदर अस्पताल के चिकित्सक डा. सुभाष चंद्र राय का. उनका यह भी कहना है कि अनावश्यक एंटीबॉयोटिक लेने से किडनी पर भी घातक असर पड़ता है. डा. राय का यह भी कहना है कि एंटीबॉयोटिक दवा लेने से मरीज कुछ देर के लिये तो राहत महसूस करता है पर इसका दूरगामी असर प्रतिकूल होता है. इसी तरह सीडेटिव या नींद की दवा का अधिक सेवन करने से कुछ देर तक उसे नशे जैसा आनंद मिलता है पर भविष्य में यह हानिकारक होता है.
जिला औषधि नियंत्रण प्रशासन ने भी भारत सरकार के ताजा निर्णय की पुष्टि की है जिसमें एटीबॉयोटिक सहित 46 तरह की दवाओं के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दी गयी है.