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सीएस ने सीडीओ के वेतन पर लगायी रोक

मधुबनी : अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी संचारी रोग पदाधिकारी द्वारा बिना अवकाश स्वीकृत कराये ही मुख्यालय छोड़ने के मामले में सिविल सर्जन डॉ अमर नाथ झा ने अवकाश अवधि के वेतन पर रोक लगाते हुए दो दिनों में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. साथ ही सीएस द्वारा मामले की गंभीरता […]

मधुबनी : अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी संचारी रोग पदाधिकारी द्वारा बिना अवकाश स्वीकृत कराये ही मुख्यालय छोड़ने के मामले में सिविल सर्जन डॉ अमर नाथ झा ने अवकाश अवधि के वेतन पर रोक लगाते हुए दो दिनों में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. साथ ही सीएस द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक कारवाई करने का आग्रह किया गया है.
क्या है मामला. जिला संचारी रोग पदाधिकारी डा. राघवेन्द्र प्रसाद कर्ण प्राय: अवकाश स्वीकृत कराये एवं विना किसी पदाधिकारी से अवकाश आवेदन पर सहमति के ही अवकाश पर चले जाते है. जिसके कारण जिला स्तर पर चलाये जा रहे कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम मसलन कुष्ठ खोज कार्यक्रम, आईआरएस छिड़का व पल्स पोलियो कार्यक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
जिसके कारण स्पष्टीकरण प्राप्त होने तक दो अप्रैल से अनुपस्थित अवधि तक के वेतन के निकासी पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही सिविल सर्जन ने जिला पदाधिकारी को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि संचारी रोग पदाधिकारी डा. राघवेन्द्र प्रसाद कर्ण द्वारा अपने निर्धारित सरकारी कार्यो के प्रति अभिरुचि नहीं लेते है.
मनमाने ढ़ंग से कार्य करते है. बताते चले कि डा. कर्ण जिला स्तरीय राष्ट्रीय कार्यक्रम के पदाधिकारी है. इनके जिम्मे आरएसटीसीपी, डाट्स कुष्ठ खोज कार्यक्रम है. ज्ञात हो कि कुष्ठ खोज कार्यक्रम 30 मार्च 17 से निर्धारित था. परन्तु इनके निष्क्रियता के कारण कार्यक्रम नही किया गया. इसके अलावा पल्स पोलियो कार्यक्रम में भी इनकी उपस्थिति शून्य है. लिहाजा सीएस ने डीए से अपने स्तर से आवश्यक कारवाई की मांग किया है.
क्या कहते है अधिकारी
सिविल सर्जन डॉ अमरनाथ झा बताते है कि डा. राघवेन्द्र प्रसाद कर्ण द्वारा प्राय: अपने कार्य के प्रति अभिरुचि नहीं लेना कार्य के प्रति स्वेच्छ चारिता, मनमाने ढ़ंग से कार्य करने की प्रवृति सरकारी सेवक आचार नियमावली के विरुद्ध है. जिसके कारण अवकाश अवधि के वेतन निकासी पर रोक लगाते हुए डीएम को पत्र लिखा गया हैं.
कोर्ट कैंपस में सज गयीं दुकानें
बीते करीब एक साल पहले न्यायालय के आदेश के बाद 2016 के जनवरी फरवरी महीने में नगर परिषद प्रशासन ने कोर्ट कैंपस में लगी अस्थायी दुकान को हटा दिया था. जिसमें स्थानीय पुलिस प्रशासन ने भी पूरा सहयोग दिया था. अतिक्रमण खाली होने के बाद न्यायालय के कार्य से आने वाले लोगों को काफी सहूलियत हो गयी . पर कोर्ट कैंपस में एक बार फिर अस्थायी रूप से एक छोर से दूसरे छोर तक दुकानें सजने लगी है. मानों न्यायालय के आदेश की इन दुकानदारों को कोई परवाह ही नहीं है.
अधिकारी को वाहन लगाने की जगह नहीं . अतिक्रमणकारियों के कारण अब आम लोगों की बात तो दूर, अधिकारी तक को भी अपने वाहन को लगाने का जगह नहीं मिल रहा. सबसे अधिक परेशानी उस समय हो जाती है जब समाहरणालय में किसी विशेष बैठक में जिले भर के अधिकारियों को बुलाया जाता है. समाहरणालय में जगह नहीं रहने के कारण अधिकारी मजबूरी में सड़क किनारे अपने वाहन लगा लेते थे. पर अब इसमें भी इन्हें परेशानी हो रही है. दरअसल अब समाहरणालय के सामने ही करीब एक दर्जन से अधिक फुटपाथी दुकानदारों ने अपनी दुकान को सजा लिया है.
नप ने भी की थी खानापूरी .शहर में सड़क किनारे लगे दुकानों को हटाने के दिशा में नप ने भी महज खानापूरी ही अब तक किया है. करीब छह माह पहले नप प्रशासन ने कोतवाली चौक से लेकर थाना चौक तक के सभी फुटपाथी दुकानों को हटाने की पहल शुरू की थी. पर दुबारा सभी दुकान पूर्व की तरह ही सज गयी है.
इन सड़कों का हुआ अतिक्रमण
शहर के एक छोड़ से दूसरे छोड़ तक जहां भी जायें आपकों सड़कों पर सजी दुकान मिलेगी. कोतवाली चौक, समाहरणालय के सामने, स्टेशन रोड, गिलेशन बाजार, शंकर चौक, कारक पट्टी, गंगासागर रोड, लोहापट्टी, बाटा चौक, नीलम टॉकीज रोड सहित अन्य प्रमुख जगह अतिक्रमणकारियों की चपेट में है.
करीब छह माह पूर्व लोहापट्टी के व्यवसायियों ने सड़क से अतिक्रमण हटा लेने की बात कही थी. वर्षों से इन बाजार के सड़क के 60 फीसदी भागों पर दुकानें लगी थी. यहां से अतिक्रमण हटाने के लिए नप प्रशासन ने कई बार नोटिस भी जारी किया था. पर यहां के व्यवसायी एक ना सुनी. एकाएक व्यवसायियों ने अतिक्रमण खाली की बात कही. और खाली भी कर दी. पर एक महीने के कम समय में यहां सड़कों पर फिर से दुकान लगने लगी. लोग इसे राजनीतिक वर्चस्व मान रहे थे.
होगी कानूनी कार्रवाई
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने कहा कि सड़क पर दुकान लगाना एक गंभीर मामला है. अतिक्रमण खाली करने के लिए लोगों से कहा गया है. इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी.

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