मधुबनी : साहित्य अकादमी का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में मैथिली भाषा का प्रचार- प्रसार करना है. ताकि युवा लेखक व कथाकार मैथिली भाषा के प्रति आकर्षित होकर उच्च कोटि के लेख एवं कथा का सृजन कर सकें. साहित्य अकादमी के द्वारा युवा लेखक एवं बाल कथा लेखन पुरस्कार की घोषणा भी किया गया है. प्रति वर्ष एक – एक पुरस्कार इन विधाओं के लिए दिया जाने लगा है. उक्त बातें साहित्य अकादमी में मैथिली भाषा के परामर्शदायी सदस्य डा. वीणा ठाकुर ने माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में साहित्य अकादमी नई दिल्ली एवं नवारंभ मधुबनी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में मैथिली – असमिया परस्पर प्रभाव विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कही.
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आगे बढ़ने के लिए मैथिली का प्रचार-प्रसार जरूरी
मधुबनी : साहित्य अकादमी का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में मैथिली भाषा का प्रचार- प्रसार करना है. ताकि युवा लेखक व कथाकार मैथिली भाषा के प्रति आकर्षित होकर उच्च कोटि के लेख एवं कथा का सृजन कर सकें. साहित्य अकादमी के द्वारा युवा लेखक एवं बाल कथा लेखन पुरस्कार की घोषणा भी किया गया है. प्रति […]
माधुर्य अन्य भाषा में नहीं. सेमिनार के प्रथम सत्र में मैथिली असमिया परस्पर प्रभाव विषय पर आयोजित परिसंवाद की अध्यक्षता करते प्रो. श्रुतिधारी सिंह ने कहा कि आधुनिक भाषा के मूल में बौद्ध है. जिसे आसामी, मैथिली, बंगला एवं उड़िया सभी मानते हैं. कहा कि भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई. एक सौ वर्ष के अंदर यह पूरे देश में फैल गयी. इसी आंदोलन का प्रभाव सभी क्षेत्रों की भाषाओं पर पड़ा. प्रो. श्री सिंह ने कहा कि असम में शंकरदेव जैसे साहित्यकार ने स्वयं स्वीकार किया था कि मैथिली भाषा में जो माधुर्य है. वह किसी अन्य भाषा में नहीं. इसलिए उनके कविताओं में मैथिली भाषा के शब्दों का व्यवहार हुआ है.
असम व मिथिला की भाषा में है समानता . साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कथाकार उदय चंद्रा झा विनोद ने कहा कि पूर्व में असम, बंगाल, बिहार सारे एक प्रदेश थे. 1900 ई. में इसका विलय हुआ था. असम में आज भी मैथिली भाषा शब्द कुसियार (ईंख), दारिम (अनार), कल (चापाकल) जैसे शब्द प्रयोग में है. असम व मिथिला की भाषा में कई समानता है. असमिया, उड़िया एवं बंगला भाषा का जिस प्रकार विस्तार हुआ. वैसा विस्तार मैथिली भाषा का नहीं हो पाया यह दुर्भाग्य है. सेमिनार को साहित्य अकादमी के विशेष कार्याधिकारी देवेंद्र कुमार देवेश, प्रो. भैरवेश्वर झा ने भी संबोधित किया.
सेमिनार का संचालन नवारंभ के संयोजक अजीत आजाद ने किया. कार्यक्रम में दूसरे सत्र में फूल चंद्र मिश्र रमण की अध्यक्षता में आलेखों का पाठ किया गया. जिसमें फूल चंद्र झा प्रवीण, अरविंद सिंह झा, सत्येंद्र कुमार झा ने अपने आलेख को पढ़ा, कार्यक्रम में मैथिली कवि देवकांत मिश्र ने कविता का पाठ किया. वहीं मेरे झरोखे से चर्चित मैथिली लेखक अमलेंदु शेखर पाठक द्वारा मैथिली के विद्वान सुरेश्वर झा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला.
युवा साहित्य द्वारा काव्य पाठ
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सतीश साजन की अध्यक्षता में युवा साहित्य द्वारा काव्य पाठ किया गया. इसमें दीप नारायण विद्यार्थी, नारायण झा, आनंद मोहन झा, प्रजापति ठाकुर, दयाशंकर मिथिलांचली, गोपाल झा अभिषेख, मैथिली प्रशांत ने अपने कविता का पाठ किया.
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