आक्रोश. स्टेट अवार्डी कलाकारों ने दी सम्मान वापस करने की चेतावनी
Advertisement
शौचालय में िमथिला पेंटिंग का विरोध
आक्रोश. स्टेट अवार्डी कलाकारों ने दी सम्मान वापस करने की चेतावनी मधुबनी : गुरू गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर पटना सीटी क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के शौचालय में मिथिला पेंटिंग लगाने को लेकर विरोध होना शुरू हो गया है. कलाकारों के साथ साथ विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध किया है. मधुबनी पेंटिंग कलाकारों ने […]
मधुबनी : गुरू गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर पटना सीटी क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के शौचालय में मिथिला पेंटिंग लगाने को लेकर विरोध होना शुरू हो गया है. कलाकारों के साथ साथ विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध किया है. मधुबनी पेंटिंग कलाकारों ने इस बात पर चिंता एवं खेद जतायी है कि जिस कला को वे लोग अपने धर्म और संस्कृति से जोड़ कर सालों से आगे बढ़ रहे हैं उस कला का अब अपमान किया जा रहा है. शौचालय में पेंटिंग लगाये जाने के निर्णय को वापस नहीं लिये जाने पर कलाकारों ने ना सिर्फ भविष्य में कलाकारी करने से मना कर दिया है, बल्कि कई स्टेट अवार्डी कलाकारों ने तो अपने सम्मान को वापस तक करने की चेतावनी दी है.
पुरस्कार वापस की करने चेतावनी . स्टेट अवार्डी तीरा देवी, महानामा देवी, उर्मिला देवी, मोती देवी सहित अन्य कई कलाकारों ने प्रकाशोत्सव में शौचालय में मधुबनी पेंटिंग बनाये जाने का विरोध करते हुए कहा है कि यदि सरकार इस पर रोक नहीं लगाती है तो हम सभी सरकार से कला के लिये मिले पुरस्कार को वापस कर देंगे. इन कलाकारों ने कहा है कि एक ओर पूरा देश मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा देने की पहल कर रही है. विदेशों में मधुबनी की पहचान ही इस कला से की जाती है तो दूसरी ओर हमारे अपने ही राज्य में इस कला का शौचालय में लगा कर अपमान किया जा रहा है. यह बरदाश्त करने योग्य नहीं है.
कलाकारों ने जताया विरोध . जितवारपुर, रांटी, कोइलख, सौराठ मिथिला पेंटिंग के गढ के रूप में जाना जाता रहा है. यहां इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी आत्मसात (अपनाया )किया जा रहा है. पर अब इन गांव के कलाकारों में क्षोभ है. दर्जनों कलाकारों ने ग्रामीण मिथिला महिला उत्थान संस्था के बैनर तले इसको लेकर रोष जताया. संस्था के सचिव विभूति नाथ झा की अध्यक्षता में गुरुवार को कलाकारों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि मिथिला पेंटिंग सिर्फ एक कला नहीं है. इसके माध्यम से मिथिलांचल की विभिन्न पर्व त्योहार भी जुड़ा हुआ है. कलाकार बुधियारी देवी, सुधीरा देवी, सरीता देवी, पूनम देवी, कुमकुम देवी, सरिता देवी, कविता देवी, रामरूप पासवान, कृष्ण कांत झा, धरमू झा, हिरा देवी, प्रभात कुमार झा ने विरोध जताया है.
बताया कि मिथिला पेंटिंग के माध्यम से हम लोग अपने देवी देवता, राजा सलहेस, सामा चकेबा, सप्ताह विपता सहित मिथिलांचल की प्रमुख पर्व त्योहार को लोगों के बीच लाते हैं. यह हम लोगों के लिये पूजनीय है. लेकिन शौचालय में पेंटिंग लगाने का निर्णय एक सभ्यता को अपमानित करना है. कलाकारों ने कहा कि सरकार इस पर रोक लगाये अन्यथा जिले के हजारों कलाकार इसको लेकर प्रदर्शन करेंगे और भविष्य में मिथिला पेंटिंग नहीं बनायेंगे.
कलाकारों व विभिन्न संगठनों ने जताया आक्रोश
जितवारपुर गांव में विरोध जताते मिथिला पेंटिंग कलाकार, विरोध जताती स्टेट अवार्डी तीरा देवी
हर उम्र के कलाकारों ने जताया विरोध
प्रकाशोत्सव पर शौचालय व स्नानागार में मिथिला पेंटिंग लगाने का हर उम्र के कलाकारों ने विरोध किया है. एक ओर जहां वृद्ध कलाकार तीरा देवी, महानामा देवी, उर्मिला देवी ने विरोध जताया है तो दूसरी ओर नयी पीढ़ी के कलाकारो ने भी इसका जमकर विरोध किया है. कलाकार माला कुमारी ने कहा कि यह कला का अपमान है. हम युवा कलाकारों ने इसे अपने आत्मा से लगाया है. यही कारण है कि एक पीढी से दूसरे पीढी में इसे अपनाया जा रहा है. यह हमारे संस्कृति व धर्म से सीधे तौर पर जुड़ा है. कोहबर, रास, राम, सीता , जयमाला हमारे शादी विवाह के परंपरा हैं. जिसे हम लोग मिथिला पेंटिंग में उकेरते हैं. इसे बढावा देने की पहल की जा रही है. यह सराहनीय है. पर शौचालय में इसको लगाना अशोभनीय है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement