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पछुआ ने बढ़ायी कनकनी, लगातार गिर रहा पारा
मधुबनी : कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है. विगत सात दिनों में तापमान में जिस प्रकार से लगातार गिरावट हो रही है. इससे जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. देर से बिस्तर छोड़ना एवं सबेर ही कंबल में घुस कर ठंड से बचने की कोशिश करना लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गयी है. […]
मधुबनी : कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है. विगत सात दिनों में तापमान में जिस प्रकार से लगातार गिरावट हो रही है. इससे जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. देर से बिस्तर छोड़ना एवं सबेर ही कंबल में घुस कर ठंड से बचने की कोशिश करना लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गयी है. ठंड से हर ओर प्रभाव दिख रहा है. बस स्टैंड में यात्रियों की भीड़ कम है तो स्टेशन पर भी विलंब से ट्रेन के परिचालन होने के कारण सन्नाटा पसरा रहता है. कुहासे से वाहनों की रफ्तार पर लगातार ब्रेक लग रहा है.
अलाव का इंतजाम नहीं . लगातार तापमान में गिरावट होने और ठंड बढ़ने के बाद भी अब तक जिला प्रशासन के द्वारा अलाव या रैन बसेरा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हो सका है. पूरे शहर में किसी भी सार्वजनिक स्थलों पर सरकारी स्तर से अलाव जलते नहीं देखा गया है.
हालांकि आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव व्यास जी ने जिला प्रशासन को जाड़े से निबटने के लिये व्यापक तौर पर इंतजाम करने को कहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अलाव जला कर बैठे देखा जा रहा है.
आलू पर अागत झुलसा का प्रकोप . तापमान में गिरावट होते ही आलू में अागत झुलसा का प्रकोप होना आम बात है. इसका लक्षण है कि पत्ती पर भूरे रंग का गोल – गोल स्पॉट बन जाता है. यह धीरे – धीरे पूरे पौधे में हो जाता है. पूरी पत्तियां झुलस कर गिर जाती है. फसल बुरी तरह प्रभावित हो जाता है.
यदि किसान समय पर दवा का छिड़काव नहीं करें तो हजारों की लागत एवं किसानों के मेहनत पर पानी फिर सकता है. जिला कृषि समन्वयक सह परामर्शी रंधीर भारद्वाज ने आगत झुलसा से बचाव के लिये मैंकोजेब 75 फीसदी एवं मेलाक्सिल की दो ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में या कार्बेंडाजीम एवं मेंकोजेब की दो ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में मिला कर अभी ही किसानों को अपने आलू में छिड़काव कर देना चाहिए.
इससे आलू को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है. इसी प्रकार सरसों में लाही व फल कटनी कीड़ा का प्रकोप तापमान में कमी होते ही हो सकता है. यह दोनों बीमारी सरसों को क्षतिग्रस्त कर देता है. बचाव के लिये मैलाथ्योन 50 फीसदी का डेढ़ एमएल एवं नीम आधारित कीटनाशी 5 एम एल प्रति लीटर पानी मे मिला कर छिड़काव करने से लाही एवं सफेद हरदा रोग ठीक हो जाता है. जबकि फल कटनी कीड़ा से निजात पाने के लिये इमेडाक्लोसरिड 1 एम एल दवा में तीन लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.
अब तक स्कूल के समय में बदलाव नहीं
कड़ाके की ठंड में सबसे अधिक परेशानी विद्यालय जाने वाले छोटे छोटे बच्चों को होती है. सुबह ही उनको विद्यालय जाना होता है. कोई रिक्शा से तो कई बसों से विद्यालय जाते हैं. वहीं कई छात्र पैदल ही विद्यालय जाते हैं. तापमान 9 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है. पर अब तक विद्यालय के समय में कोई बदलाव ना तो निजी विद्यालय प्रशासन और ना ही सरकारी विद्यालय प्रशासन के द्वारा की गयी है.
पहली दिसंबर को अधिकतम तापमान 28.5 डिग्री सेल्सियस था. दिन में इतना तापमान होने के कारण लोगों को गर्मी महसूस होती थी. दिन में स्वेटर पहनने की जरूरत भी लोग महसूस नहीं करते थे. जो पहन लेते थे वे गर्मी से परेशान हो जाते थे. पर तीन दिसंबर के बाद तापमान में गिरावट होने लगी. आठ दिसंबर को अधिकतम तापमान 14.8 डिग्री पर रहा जबकि न्यूनतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्यिस पर पहुंच गया. रातें सर्द होने लगीं. दिन में भी शीतलहर के कारण लोग परेशान होने लगे. गुरुवार को तो स्थिति यह रही कि दिनभर लोगों को सूर्य के दर्शन तक नहीं हुए.
बुजुर्ग रहें सतर्क
तापमान में अचानक गिरावट होने और ठंड बढ़ने से बुजुर्गों में एकाएक रक्तचाप बढ़ सकता है. रक्तचाप से ग्रसित मरीजों में चक्कर आना, कमजोरी होना ये लक्षण है. जिससे रोगी लकवा ग्रस्त, ब्रेन हेम्रेज व हृदय गति के रूकने जैसी बीमारी की संभावना रहती है. सदर अस्पताल के चिकित्सक डाॅ डीएस मिश्रा बताते है कि यदि रोगी ब्लड प्रेशर से ग्रसित है तो उन्हें नियमित दवा का सेवन करते हुए इसे नियंत्रण में रखें. ठंड से बचें. यदि कोई भी लक्षण दिखे तो तत्काल नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें.
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