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नागपंचमी आज, नवविवाहिताओं की फूललोढ़ी शुरू

मधुबनी : मिथिलांचल के नवविवाहिताओं का पंद्रह दिनी नागपंचमी मधुश्रावणी पर्व की शुरुआत रविवार से हो रही है. इसके लिए शनिवार के अहले सुबह से ही नव विवाहिताएं फूललोढ़ी शुरू कर दी है. अनादिकाल से ही श्रावण कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि से मधुश्रावणी तक नाग पूजा नवविवाहिताओं द्वारा 15 दिन करने की प्रथा है. […]

मधुबनी : मिथिलांचल के नवविवाहिताओं का पंद्रह दिनी नागपंचमी मधुश्रावणी पर्व की शुरुआत रविवार से हो रही है. इसके लिए शनिवार के अहले सुबह से ही नव विवाहिताएं फूललोढ़ी शुरू कर दी है. अनादिकाल से ही श्रावण कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि से मधुश्रावणी तक नाग पूजा नवविवाहिताओं द्वारा 15 दिन करने की प्रथा है.

चढ़ता है बासी फूल
प्रथम दिन नागपंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा इन विवाहिताओं द्वारा वासी फूल से की जाती है. इसके लिए श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्थी के अहले सुबह से ही इन पबनैतिन द्वारा फूल लोढ़ने का काम शुरू कर दिया जाता है. और दिन भर इकट्ठा किये गये फूल से नागपंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती है. मधुश्रावणी पर्व के दौरान 15 दिनों तक नवविवाहिता के ससुराल से बन कर आये मिट्टी के सात नाग और हल्दी के बने गौड़ की पूजा की जाती है.
हर दिन कथा सुनती हैं नवविवाहिता
नागपंचमी के दिन गांव मुहल्ले के बुजुर्ग महिला द्वारा नाग पूजा और गौड़ी पूजन के बाद नाग देवता की कथा नवविवाहिता को कही जाती है. जिसे गांव की महिलाएं भी घंटों बैठकर सुनती हैं. और जगत जननी मां सीता सहित विभिन्न देवी देवताओं से संबंधित गीत, भजन, आरती आदि गाती हैं. इसी तरह दूसरे दिन पूजन के बाद धरती मां की कथा, तीसरे दिन गौड़ी के जन्म व विवाह की कथा सुनने का प्रावधान है. इसी तरह 15 दिनों तक अलग अलग कथा सुनायी जाती है.
नागदेव को चढ़ता है लावा- दूध
मधुश्रावणी के दौरान पूजन के बाद प्रतिदिन नागदेव को नवविवाहिता द्वारा ससुराल से आये धान के लावा एवं दूध चढाया जाता है. जबकि, गौड़ी पूजन के बाद फल, मिठाई, पंचमेवा आदि गौड़ी को चढाया जाता है.
सबकुछ आता है ससुराल से
मधुश्रावणी पर्व पूजन के लिए श्रावण कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को ही नवविवाहिता के ससुराल से उनके लिए सभी कपड़े, पूजन के लिए मिट्टी के पातिल, दीप, नाग, हल्दी के गौड़, फूल, फल, हरे पत्ते, पंचमेवा, टेमी, अखंड दीप जलाने के लिए तेल, 15 दिन तक भोजन करने के लिए अरबा चावल, शुद्ध दाल, चूड़ा, चीनी, दूध, दही, फल, सब्जी आदि पौष्टिक आहार के लिए इतने दिनों तक की राशि भी भेजी जाती है. इस अवधि में नव विवाहिता मायके की न कोई खाद्य सामग्री ग्रहण करती हैं और न कपड़े पहनती हैं. यह 15 दिनी पर्व व पूजा पूर्णत: ससुराल पर आधारित रहता है.
लग जाते हैं फूलों के ढेर
पंद्रह दिनों तक सुबह में लोढे गये ताजे फूल के पूजन से और शाम में समूह के साथ लोढे जाने वाली फूल, हरे पत्ते की ढेर पूजन घर में लग जाती है.
वातावरण रहता है संगीतमय
शहर से गांव तक के घरों व सजधज कर डाला के साथ दूर- दूर के बगीचे में फूल लोढने निकली नवविवाहिताओं की झुंड से उठती मधुर लय की गीत से मिथिलांचल का वातावरण संगीतमय बना रहता है. चारों तरफ इनकी हंसी ठिठोली और अठखेलियां से वातावरण खुशनुमा बना रहता है.

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