मधुबनीः मानव संसाधन विकास विभाग मंत्रलय नई दिल्ली ने देश में बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति का सर्वेक्षण कराया. बिहार सहित 21 राज्यों में यह अध्ययन कराया गया. बिहार में छात्र उपस्थिति 66 प्रतिशत से कम पाई गई. छात्र छात्राओं की उपस्थिति के साथ साथ ड्रॉप आउट एवं बच्चों के ठहराव का भी अध्ययन किया गया था.
बिहार में उपस्थिति कम पाये जाने पर भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक मास्टर प्लान बनाया है. प्रारंभिक सरकारी विद्यालयों में बच्चों का ड्रॉप आउट रोकने व ठहराव सुनिश्चित करने का जिम्मा बिहार शिक्षा परियोजना को दिया है. निदेशक शिक्षा विभाग भारत सरकार नई दिल्ली डॉ मो. अरिज अहमद के निर्देश के आलोक में मधुबनी के जिला शिक्षा पदाधिकारी और सर्वशिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आदेश दिया है कि बच्चों की उपस्थिति को उच्चतम दर 80 से 90 प्रतिशत को प्राप्त करने के लिये आवश्यक कार्रवाई करें. डीइओ और डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान मधुबनी बच्चों के ड्रॉप आउट को रोकने, उनका स्कूल में ठहराव सुनिश्चित करने और उपस्थिति उच्चतम दर पर लाने का हर संभव प्रयास करेंगे. स्कूलों में टीचिंग लर्निग मैटेरियल या शिक्षण अधिगम की उपलब्धता हर हाल में रखेंगे.
उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षक स्कूलों में बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार कर रहे हैं. वे विद्यालय प्रबंधन समिति को जागरूक करेंगे और स्कूल में सीखने का वातावरण निर्माण करेंगे. स्कूलों में बच्चों के खेल कूद व सह शैक्षणिक गतिविधियों के लिये वातावरण का भी निर्माण करेंगे. नये शैक्षणिक सत्र 2013 का आठवां महीना बीतने जा रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षक काफी लगन के साथ सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया को क्रियान्वित करेंगे. आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को अतिरिक्त शिक्षण प्रदान करेंगे.
डीइओ व डीपीओ सर्वशिक्षा अभियान को गुणवत्ता मॉनीटरिंग फॉर्म बिहार शिक्षा परियोजना को नियमित रूप से भेजने का राज्य परियोजना निदेशक राहुल सिंह ने आदेश दिया है. डीइओ व डीपीओ जिला से लेकर प्रखंड स्तर के शिक्षा विभाग के अधिकारियों से नियमित रूप से स्कूलों का मॉनीटरिंग करायेंगे. मॉनीटरिंग में शिक्षक उपस्थिति, छात्र उपस्थिति, नामांकन में पारदर्शिता, शिक्षक प्रोग्रेस कार्ड, छात्र प्रोग्रेस कार्ड, स्कूल प्रोग्रेस कार्ड, बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धि, गुणवत्ता शिक्षा की भी जांच होगी. शिक्षण अधिगम सामग्री का भी जांच होगा. डीइओ व डीपीओ स्कूलों को शैक्षणिक अनुसमर्थन प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे. भ्रमण शिड्यूल व भ्रमण प्रतिवेदन नियमित रूप से राज्य कार्यालय को भेजनी होगी.
समय से सभी छात्र छात्रओं को पुस्तक देना सुनिश्चित करायेंगे. मॉनीटरिंग के दौरान इस बात की जानकारी ली जायेगी कि बच्चों के ज्ञान का स्तर उनकी कक्षा के अनुरूप है या नहीं. बालक बालिका के लिये अलग अलग शौचालय है या नहीं, नियमित रूप से सतत व व्यापक मूल्यांकन हो रहा है कि नहीं. वास्तव में स्कूलों में समङों सीखें कार्यक्रम के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है या नहीं. भारत सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक ने सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ इसे स्कूलों में लागू करने का निर्देश दिया है. जिला से सभी प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा अधिकारियों को भी 12 नवंबर 2013 को इसकी सूचना दे दी गयी है.