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असुरक्षित है व्यवहार न्यायालय!

मधुबनी : स्थानीय व्यवहार न्यायालय परिसर, जहां हर दिन जिले के सैकड़ों लोग न्याय पाने की उम्मीद में आते हैं, जहां विद्वान न्यायाधीश, अधिवक्ता, मुंसिफ व कर्मचारी बैठते हैं वहां की सुरक्षा व्यवस्था का माकूल इंतजाम नहीं है. समुचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहने से न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता एवं न्याय देने वाले न्यायधीश सकते में […]

मधुबनी : स्थानीय व्यवहार न्यायालय परिसर, जहां हर दिन जिले के सैकड़ों लोग न्याय पाने की उम्मीद में आते हैं, जहां विद्वान न्यायाधीश, अधिवक्ता, मुंसिफ व कर्मचारी बैठते हैं वहां की सुरक्षा व्यवस्था का माकूल इंतजाम नहीं है. समुचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहने से न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता एवं न्याय देने वाले न्यायधीश सकते में रहते हैं.

जब चाहें जो चाहें इस परिसर में बेरोक टोक आ जा सकते हैं. ना सिफ परिसर में आने जाने के दौरान कही भी जांच या रोक टोक नहीं होता बल्कि न्यायाधीश के ईजलास तक के समीप भी लोग बिना किसी परेशानी के आ जा सकते हैं. समुचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहने से बिना जांच के ही परिसर में बेरोकटोक लोगों को आना जाना रहता है.

जिससे असमाजिक तत्वों की परिसर में घूस पैठ बनी रहती है. इससे मोटर साइकिल की चोरी तो कभी पक्षकारों के बीच भी झगड़ा हो जाती है. दस पुलिस बल के सहारे सुरक्षादर्जनों न्यायाधीश, सैकड़ों अधिवक्ता, मंसिफ एवं कर्मचारी के साथ साथ सैकड़ों पक्षकारों के सुरक्षा के लिये महज न्यायालय परिसर में पांच होम गार्ड एवं पांच बिहार पुलिस तैनात है. न्यायालय परिसर से गुजर रहे सड़क से दक्षिण न्यायालय परिसर के सुरक्षा के लिए पांच होम गार्ड की तैनाती की गई है.

उक्त परिसर में जिला सत्र न्यायाधीश, एडीजे प्रथम एवं तृतीय, एसडीजेएम एवं न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी का इजलास है. जिसमें न्याय पाने के लिए परिसर में भीड़ रहती है. वहीं सड़क के उत्तर न्यायालय परिसर के सुरक्षा के लिए पांच बिहार पुलिस के जवान की तैनाती है. जहां मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, परिवार न्यायालय, सब जज सह एसीजेएम एवं एडीजे द्वितीय चतुर्थ, पंचम, छह एवं सात क ा इजलास है. जहां पैरवीकार की भीड़ रहती है.

वहीं इसी परिसर में मंडल कारा से लाए कैदी को न्यायालय स्थित कारा में रखा जाता है.दो घंटे के शिप्ट से होता है सुरक्षान्यायालय परिसर में स्थित सुरक्षा के लिए तैनात जवान सड़क से उत्तरी एवं दक्षिण परिसर में दो – दो घंटे के शिप्ट से ड्यूटी करता है. जो सुरक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं है. न्यायालय परिसर में स्थित न्यायिक आवास भी सुरक्षित नहीं है.

हालांकि न्यायालय के खुलते ही सभी न्यायाधीश के अंगरक्षक न्यायिक कार्य के समाप्ति तक रहते हैं लेकिन शाम होते ही अपने बैरक में लौट जाते हैं. आवास में सुरक्षा नहीं रहने के कारण न्यायाधीश के परिजन सकते में रहते हैं. हर वक्त खुला रहता है द्वार न्यायालय परिसर को सुरक्षित रखने के लिए बना सड़क पर गेट हमेशा खुला रहता है. दिन को क्या रात में भी गेट बंद नहीं होता है. जिससे न्यायालय परिसर सहित आवास में असमाजिक तत्व भय बना रहता है.

सुरक्षा के लिए बना गेट छलावा बनता नजर आ रहा है.अधिवक्ता संघ भी असुरक्षित जिले के लोगों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता के लिए भी संघ में सुरक्षा का व्यवस्था नहीं है. जिससे असमाजिक तत्वों द्वारा बेरोक टोक आना जाना रहता है. जिससे अधिवक्ताओं में भय बना रहता है. इस बाबत संघ अध्यक्ष ध्रुव नारायण प्रसाद ने कहा कि संघ की सुरक्षा के लिए प्रशासन के साथ बात की जायेगी. वहीं अधिवक्ता मिथिलेश कुमार झा द्वितीय ने कहा कि संघ में गार्ड की तैनाती होनी चाहिए.

वहीं अवधेश कुमार सिंह, मिश्री लाल यादव,अरूण कुमार झा का कहना है कि न्यायालय परिसर व अधिवक्ता संघ में सीसी टीवी लगना चाहिए.हो चुकी है घटनान्यायालय परिसर में सुरक्षा के चूक के कारण कई घटना हो चुकि हैं. जिसमें कई कैदी कोर्ट परिसर से फरार हो चुका है. साथ ही कई बार पत्रकारों के बीच भी मारपीट की नौबत आ गई है. कहते हैं अधिकारी इस बाबत एस पी मो. अख्तर हुसैन ने बताया है कि इस दिशा मंे जल्द ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जायेंगे.

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