मधुबनी : लोगों को जिस जगह न्याय मिलता है, जिसे लोग न्याय की मंदिर कहते हैं, आज वह जगह भी अतिक्रमणकारियों की गिरफ्त में है. क्या सड़क, क्या परिसर, लोगों ने न्याय करने वाले विद्वान न्यायमूर्ति के कार्यालय (इजलास) के सामने तक का अतिक्रमण कर लिया गया है. जैसे जागरूकता ही समाप्त हो गयी है. […]
मधुबनी : लोगों को जिस जगह न्याय मिलता है, जिसे लोग न्याय की मंदिर कहते हैं, आज वह जगह भी अतिक्रमणकारियों की गिरफ्त में है. क्या सड़क, क्या परिसर, लोगों ने न्याय करने वाले विद्वान न्यायमूर्ति के कार्यालय (इजलास) के सामने तक का अतिक्रमण कर लिया गया है. जैसे जागरूकता ही समाप्त हो गयी है.
इस अतिक्रमण से आम लोगों की कौन कहें, न्यायाधीश को भी परेशानी होती है. लोगों ने कोर्ट के बरामदे को साइकिल स्टैंड बना दिया है. व्यवहार न्यायालय परिसर में गाड़ी पार्किंग नहीं रहने से न्यायालय आने वाले अधिवक्ता व जिले भर से आने वाले पक्षकार को परेशानी उठानी पड़ती है. परिसर में बेतरकीब गाड़ी लगने से इजलास पर जाने में भी अधिवक्ता व पक्षकार को मशक्कत करनी पड़ती है.
बरामदा बना स्टैंड
पार्किंग नहीं रहने से न्यायालय स्थित इजलास बरामदा पर गाड़ी लगा दी जाती है. इससे इजलास जाने वाले को परेशानी उठानी पड़ती है. साथ ही न्यायिक स्टांप के लिए बने फ्रैकिंग मशीन के सामने बने शेड पर गाड़ी लगा देने से न्यायिक स्टांप लेने वालों को परेशानी उठानी पड़ती है.
यह समस्या कोई नयी नहीं है. वर्षों से यह परेशानी व्यवहार न्यायालय में स्थायी रूप बन चुका है. इस मामले को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं हो रही है. बरामदे पर ना सिर्फ वकील, मुंशी या फिर कोर्ट के कर्मचारी साइकिल, मोटरसाइकिल लगाते हैं बल्कि जिले से आने वाले आम पैरवीकार भी इसी बरामदे पर या इसी परिसर में बेतरतीब तरीके से साइकिल लगाते रहते हैं.
चोरी की रहती है आशंका
पार्किंग नहीं रहने से अपने मुकदमों में पैरवी के लिए पक्षकार को गाड़ी की चोरी की आशंका बनी रहती है. पक्षकार अपने मुकदमों में पैरवी के लिए इजलास के पास रहते हैं. इधर गाड़ी चोरी हो जाती है. सूत्रों की मानें तो प्राय: हर दिन इस परिसर से साईिकल की चोरी हो ही जाती है. पर साइकिल चोरी की प्राथमिकी दर्ज नहीं होने के कारण इसका सही आकलन नहीं पता चल पाता है.
अतिक्रमित है सड़क
पूरा व्यवहार न्यायालय इन दिनों अतिक्रमण की समस्या से ग्रसित है. न्यायालय जाने के लिए मुख्य सड़क से प्रवेश करते ही अतिक्रमण का नजारा शुरू हो जाता है. जो पूरे परिसर में फैली है. आम लोग न्याय पाने की आशा में जाते हैं वहां की स्थिति देख हर कोई हैरत में पड़ जाता है कि इस जगह को भी लोगों ने अतिक्रमण करने नहीं बख्शा है.
न्याय की मंदिर को भी अतिक्रमण करने वालों की नजर लग गयी है. जाने वाली सड़क को अतिक्रमण करने से जाम की स्थिति बनी रहती है. इससे न्यायालय जाने वाले को परेशानी उठानी पड़ती है. खास कर जब मुख्य सड़क किसी कारण जाम हो जाता है तब न्यायालय सड़क रास्ते गाड़ी का आने जाने से न्यायालय के समक्ष जाम कि स्थिति बन जाती है. जिससे अधिवक्ता पक्षकार को इजलास पहुंचाने में मशक्कत करनी पड़ती है. सड़क के दोनों ओर फुटपाथ दुकान बना दिया गया है.
क्या कहते हैं अधिवक्ता
संघ अध्यक्ष धु्रव नारायण प्रसाद ने कहा कि पार्किंग कि व्यवस्था के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश से बात की जायेगी. वहीं अधिवक्ता कुमार सतीश चंद्र, विनय कुमार चौधरी, हीरा लाल यादव, अंजनी कुमार सहित अन्य अधिवक्ता ने कहा कि पार्किंग नहीं रहने से गाड़ी की चोरी की आशंका बनी रहती है.