… अंत न बरसे हथ, का करिहें गृहस्थ फोटो नंबर- 25 धान की फसल (फाइल फोटो)रीगा. हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने से किसान की धान की फसल को लेकर काफी चिंतित है. चालू वर्ष में समय पर बारिश नहीं हुयी. पंपसेट से किसान 70 फीसदी खेतों में धान का बिचड़ा गिरा पाये. पौधा किसी तरह तैयार हुआ. रोपनी हुयी और बीच में सुखाड़ पड़ने से धान के पौधे पीले पड़ने लगे. बाद में हल्की बारिश होने पर पौधों में थोड़ी जान आयी. फिर अचानक बारिश नहीं होने से यह माना जा रहा है कि पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पुराने जमाने की एक कहावत है ‘आदि न बरसे आद्रा, अंत न बरसे हथ, का करिहें गृहस्थ’. वर्तमान में यह कहावत चरितार्थ हो रही है. 28 सितंबर को हथिया नक्षत्र प्रारंभ हुआ और 12 अक्तूबर को समाप्त हो जायेगा. किसानों को आशा थी कि कम से कम हथिया नक्षत्र में जरूर बारिश होगी और धान की फसल का पैदावार बेहतर होगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका. किसान मान कर चल रहे हैं कि गेहूं की तरह धान की भी फसल मारी जायेगी. इस बीच, डीजल अनुदान नहीं मिलने से धान फसल को ले किसानों की चिंता और बढ़ गयी है. अब धान की खेती महंगी किसान गोपेशनंदन सिंह, पारसनाथ सिंह, रामजनम गिरि व अवधेश कुमार कहते हैं कि धान की खेती महंगी होती जा रही है. यह खेती पानी पर पूरी तरह निर्भर है. अंतिम समय में हथिया नक्षत्र में बारिश धान की फसल के लिए वरदान माना जाता है. उक्त किसानों ने राज्य सरकार से इस क्षेत्र को सुखाड़ग्रस्त घोषित करने के साथ हीं मुआवजा देने की भी मांग की है.
… अंत न बरसे हथ, का करिहें गृहस्थ
… अंत न बरसे हथ, का करिहें गृहस्थ फोटो नंबर- 25 धान की फसल (फाइल फोटो)रीगा. हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने से किसान की धान की फसल को लेकर काफी चिंतित है. चालू वर्ष में समय पर बारिश नहीं हुयी. पंपसेट से किसान 70 फीसदी खेतों में धान का बिचड़ा गिरा पाये. पौधा किसी […]
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