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140 वर्ष बाद भी मधुबनी नहीं बना नगर निगम

सन 1876 में स्थापित नगर पालिका को नगर निगम बनाये जाने की मांग एक बार फिर जोड़ पकड़ती जा रही है. जनप्रतिनिधि से लेकर आम जनता व व्यवसायी इसे नगर निगम बनाये जाने की मांग कर रहे है. हालांकि नगर परिषद बोर्ड द्वारा 2012 में ही प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा जा चुका है, […]

सन 1876 में स्थापित नगर पालिका को नगर निगम बनाये जाने की मांग एक बार फिर जोड़ पकड़ती जा रही है. जनप्रतिनिधि से लेकर आम जनता व व्यवसायी इसे नगर निगम बनाये जाने की मांग कर रहे है.

हालांकि नगर परिषद बोर्ड द्वारा 2012 में ही प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा जा चुका है, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है.

मधुबनी : वर्ष 1876 में शहर में नगर पालिका का गठन हुआ. शहरों के विकास के साथ लोगों का रुझान इस ओर बढ़ा. धीरे-धीरे शहरों का विस्तार हुआ.
जनसंख्या के बढ़ोतरी के साथ 2007 में 30 वार्ड का विशाल स्वरूप ले लिया. इस विकास के साथ नगर पालिका ने वर्ष 2001 में नगर परिषद का दर्जा प्राप्त करने में सफलता पायी, लेकिन पर जैसे जैसे इसका स्वरूप बढ़ता गया विकास की दरकार भी बढ़ती गयी.
लोगों का कहना है कि अब यह आवश्यकता इतनी बड़ी हो गयी है कि जब तक इसे नगर निगम का दर्जा नहीं मिल जायेगा तब तक समग्र विकास संभव नहीं. जिला मुख्यालय को नगर परिषद का दर्जा मिले करीब 14 साल हो गये. इन सालों में नगर परिषद धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ता गया.
इसका स्वरूप इस कदर बढ़ चुका है कि यह नगर परिषद अब नगर निगम का दर्जा पाने के हर मानक को पूरा करने का दावा ठोक रहा है. इस अभियान में नप प्रशासन का सहयोग आम जनता भी कर रही है.
बोर्ड से प्रस्ताव पारित
नगर विस्तार के लिए लगातार मांग उठ रही थी. इस मांग पर वर्ष 2012 में नप बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया. जिसे संबंधित विभाग को भेज दिया गया था. बोर्ड के प्रस्ताव पारित होने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ी थी, लेकिन मामला अटका हुआ है.
बढ़ेगा शहर का क्षेत्रफल
मधुबनी नगर परिषद को नगर निगम बनाने से आसपास की कई पंचायतों में शहर की हर सुविधा प्राप्त होगी. इससे शहर का क्षेत्रफल बढ़ेगा. विभाग के अनुसार प्रस्ताव में सप्ता, भच्छी, मंगरौनी, रांटी, नाजिरपुर, भौआड़ा व बसुआरा पंचायत के कुछ भाग शामिल किया जा सकता है. इस क्षेत्रों के शामिल होने से क्षेत्रों के विकास में तेजी आयेगी.
व्यापक के लिए खुलेंगे नये रास्ते
नगर निगम के बनने से व्यापार में नये मार्ग खुलने की संभावना व्यक्त की जा रही है. नगर निगम का दर्जा प्राप्त होने से शहरी विकास के लिए विशेष अनुदान प्राप्त होंगे.
जिससे क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. सड़क, नाला, बिजली की सुविधा बढ़ेगी. जिससे व्यापार के नये रास्ते खुलेंगे. बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे.
विकास में आयेगी तेजी
नगर परिषद का सीमा विस्तार होने से नप की आय में बढ़ोतरी होने की संभावना बढ़ जायेगी. बढ़ी हुई आमदनी से शहर का विकास और तेजी से हो पायेगा. वहीं पंचायत में रहने वाले लोगों को आधुनिक जीवन शैली का लाभ मिलेगा.
आय में होगी बढ़ोतरी
नगर निगम का दर्जा प्राप्त होने से आय में दो गुणा से अधिक वृद्धि हो जाने की संभावना है. वहीं दूसरी ओर नगर के आस पास के सात पंचायतों के लोगों को शहर की सुविधा मिलने लगेगी. वर्तमान में नगर परिषद 30 वार्डों में बंटा है.
वहीं शहर की आबादी लगभग 80 हजार है. इन पंचायतों के जुटने से नगर निगम के लिए क्षेत्रफल एवं आबादी का आंकड़ा भी पूरा हो जायेगा. इससे नगर निगम बनने का सभी मानक को पूरा करने का दावा भी पुख्ता हो जायेगा.
वर्तमान में शहर का क्षेत्रफल साढ़े तीन वर्ग मील है. इन पंचायतों के मिल जाने से क्षेत्रफल तथा जनसंख्या दोगुणी हो जायेगी. जो नगर निगम के मानक के अनुरूप होगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने बताया कि नगर निगम का दर्जा मिलने से लोगों को हर रूप में सुविधा की बढ़ोत्तरी होगी. आधारभूत संरचना का विकास होगा. वहीं रोजगार के अवसर भी खुलेंगे. नप प्रशासन की ओर से हर पहल की जा रही है.

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