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अरहर दाल की कीमत में भारी उछाल

मधुबनी : इन दिनों लोगों के थाली से अरहर दाल गायब होता जा रहा है. लोग अरहर दाल के स्वाद से मरहूम हो रहे हैं. दरअसल, विगत सात दिनों में अरहर दाल के कीमत में करीब 50 से 60 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गयी है. इस कारण लोग अब अरहर दाल खरीदने से […]

मधुबनी : इन दिनों लोगों के थाली से अरहर दाल गायब होता जा रहा है. लोग अरहर दाल के स्वाद से मरहूम हो रहे हैं. दरअसल, विगत सात दिनों में अरहर दाल के कीमत में करीब 50 से 60 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गयी है. इस कारण लोग अब अरहर दाल खरीदने से या तो लोग परहेज करने लगे हैं या फिर किलो की जगह पाव के वजन में दाल खरीद रहे हैं. जिले में अरहर की कम उत्पादन होना इसकी प्रमुख वजह मानी जा रही है.
150 रुपये किलो बिक रही अरहर दाल
जिले के लोग अरहर दाल की शौकिन रहे हैं. पर्व त्योहार हो, अतिथि का स्वागत हो या फिर कोई शुभ काम. अरहर दाल को यहां के लोग सर्वोत्तम मानते हुए उसका बहुतायत से उपयोग करते रहे हैं, लेकिन अब लोगों को यह शौक या परंपरा महंगा पड़ रहा है. जेबे ढीली हो रही है.
लोग अरहर दाल की कीमत सुन दांतों तले उंगली काट रहे हैं. इसका कारण यह है कि अरहर दाल की कीमत 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. जो ग्राहक विगत एक सप्ताह पूर्व अरहर दाल किलो के वजन में खरीदते थे, वही ग्राहक आज पाव के वजन में दाल खरीद रहे हैं. हर दिन अरहर दाल की कीमत में बढ़ोतरी ने लोगों को बेचैन कर दिया है. इन दिनों पितृपक्ष को लेकर गांव कस्बों से लेकर शहरी क्षेत्र में अरहर दाल की मांग बढ़ गयी है, लेकिन कीमत ने लोगों की जेब पर कहर ढाया है.
नहीं हो रही व्यापक तौर पर खेती
जिले में अमूमन 1000 से 15 सौ हेक्टेयर में ही अरहर की खेती हो पाती है. वो भी खेतों के मेहार पर. दरअसल, जिले के किसान अपने खेतों में अरहर की खेती करने से पीछे रहे हैं. प्रवर्ती खेती के तौर पर ही अरहर की खेती धान खेत के मेहार पर करते रहे हैं. इस कारण अरहर की आवश्यकता के अनुरूप उपज नहीं हो पा रही है. जानकारों की मानें तो यदि अरहर की बेहतर उपज हो तो 10 से12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज होती है.
अरहर के उन्नत बीज के रूप में बहार एवं पूसा-9 प्रमुख माना जाता है. हालांकि अपने जिले में देसी अरहर की खेती अधिक की जाती है.
फलछेदक के प्रकोप से किसान परेशान
अरहर के फसल पर फल छेदक का प्रकोप ने कहर ढाह दिया. कृषि विभाग के अनुसार खरीफ में अरहर की खेती का दो हजार हेक्टेयर का लक्ष्य था. लक्ष्य के अनुरूप खेती किया गया, लेकिन इस पर फलछेदक एवं उख्खा रोग ने कहर ढाह दिया. यदि किसान इस खरीफ अरहर की खेती में सजग नहीं हुए तो आने वाले दिनों में भी इस पर इन दोनों का प्रकोप हो सकता है.
कैसे करें बचाव
जिला कृषि परामर्शी रंधीर भारद्वाज ने बताया है कि फल छेदक के रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफॉस दवा की दो एमएल प्रति लीटर पानी में छिड़काव करने से इससे निजात मिल सकती है.

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