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जिप अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
मधुबनी : जिला परिषद (जिप) की राजनीति एक बार फिर से गरमा गयी है. इस बार राजनीति क ा केंद्र बिंदु फिर से जिप अध्यक्ष हैं. सोमवार को 56 सदस्यों वाले जिप में से 30 सदस्यों ने जिप अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आवेदन दे दिया है. अविश्वास संबंधी आवेदन जिप सदस्य […]
मधुबनी : जिला परिषद (जिप) की राजनीति एक बार फिर से गरमा गयी है. इस बार राजनीति क ा केंद्र बिंदु फिर से जिप अध्यक्ष हैं. सोमवार को 56 सदस्यों वाले जिप में से 30 सदस्यों ने जिप अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आवेदन दे दिया है.
अविश्वास संबंधी आवेदन जिप सदस्य शिव शंकर यादव, गुलाव देवी के अगुआई में सदस्यों ने मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, उपाध्यक्ष एवं पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को दिया है. अविश्वास का आवेदन दिये जाने के साथ ही जिप की राजनीति गरमा गयी है. सदस्यों के बीच फोन से बात करने व अपने-अपने खेमा को दुरुस्त करने का दौड़ भी शुरू हो गया है.
2013 में लगा था अविश्वास
जिप सदस्य विक्रमशीला देवी, अशोक झा सहित 26 सदस्यों ने जिप अध्यक्ष नसीमा खातून के विरोध में 19 दिसंबर 2013 को भी अविश्वास प्रस्ताव लगाया था. हालांकि इस बार पूर्व में लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव संबंधी आवेदन में सदस्यों की संख्या की अपेक्षा चार सदस्य अधिक हैं. वर्ष 2013 में जिप अध्यक्ष नसीमा खातून ने जोरदार तरीके से अपनी कुरसी बचा विरोधी खेमा को चारों खाने चित कर राजनीति के क्षेत्र में अपना दबदबा बरकरार रखने में सफलता प्राप्त की थी. उस समय नाराज सदस्यों ने जिप अध्यक्ष के पति की ओर से लाल बत्ती युक्त गाड़ी का उपयोग करने, जिप सदस्यों के साथ र्दुव्यवहार करने, अपने चहेते को योजना का लाभ पहुंचाने सहित अन्य आरोप लगाया था.
पहले ही दिन से पक्ष में बनने लगा था माहौल
इस अविश्वास प्रस्ताव संबंधी आवेदन लाने के कुछ ही घंटे बाद एक सदस्य ने जिप अध्यक्ष नसीमा खातून के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त कर विरोधी खेमा के मनोबल को तोड़ने का काम शुरू कर दिया था. अविश्वास प्रस्ताव संबंधी जिन 26 सदस्यों ने हस्ताक्षर किये थे उसमें से एक बेबी झा ने उसी दिन अविश्वास प्रस्ताव पर उनका फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप विक्रम शीला एवं उनके समर्थक पर लगाया. 19 दिसंबर से ही दोनों खेमा अपने अपने समर्थकों की संख्या बढ़ाने में लगे हुए थे.
अध्यक्ष को मिली थी सफलता
पूर्व में लगे अविश्वास प्रस्ताव में जिप अध्यक्ष ने जीत हासिल की थी. अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस के बाद प्रस्ताव के विपक्ष में जहां चार मत पड़े. वहीं, प्रस्ताव के समर्थन में एक भी वोट नहीं पड़े. साढ़े ग्यारह बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ जम कर बहस की. इसी दौरान अध्यक्ष नसीमा खातून के किसी बयान पर विरोधी सदस्य जिप अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकल गये. बाद में तत्कालीन उप विकास आयुक्त डीएन मंडल, पंचायती राज पदाधिकारी तारिक इकबाल के उपस्थिति में वोटिंग कराया गया. इसमें अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में चार मत तथा पक्ष में शून्य मत पड़े.
क्या है आरोप
नाराज सदस्यों ने आवेदन में सात आरोप लगाये हैं जो इस प्रकार हैं.
* जिप अध्यक्ष के पति मो कुदुस की ओर से हमेशा ही जिप अध्यक्ष के लाल बत्ती वाली गाड़ी का उपयोग किया जाता है.
* जिप अध्यक्ष के पति द्वारा अध्यक्ष के कार्यालय कक्ष में बैठकर सदस्यों के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जाता.
* सदस्यों के भावना का उचित सम्मान नहीं किया जाता
* जिप अध्यक्ष का सरकारी आवास निजी आवास में तब्दील कर दिया गया है.
* जिप अध्यक्ष की ओर से जिला परिषद की उप समिति में मनमानी चरम पर है.
जिप अध्यक्ष हमेशा चहेतों को ही उपसमिति में रखती हैं.
* जिला परिषद की ओर से मकान बनवाने में भी अध्यक्ष की मनमानी चलती है.
* अनुसूचित जाति के पार्षदों को उपसमिति में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता
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