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सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा सूर्यग्रहण

मधुबनी : साल का आखिरी सूर्य ग्रहण गुरुवार को पड़ने जा रहा है. 26 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. यहां वलयाकार से मतलब यह है कि ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी एक अंगूठी की तरह नजर आएगा. पंडित ऋषिनाथ सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजकर […]

मधुबनी : साल का आखिरी सूर्य ग्रहण गुरुवार को पड़ने जा रहा है. 26 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. यहां वलयाकार से मतलब यह है कि ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी एक अंगूठी की तरह नजर आएगा. पंडित ऋषिनाथ सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और 10 बजकर 57 मिनट पर खत्म होगा यानी सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 40 मिनट 6 सेकंड होगी.

सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक कारण
जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढंक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की. कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है. ज्योतिष विज्ञान के दृष्टिकोण से ग्रहण प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है.
ज्योतिष के दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो अभूतपूर्व ज्योतिष ज्ञान है, ग्रह और उपग्रहों की गतिविधियां एवं उनका स्वरूप स्पष्ट करता है. सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चंद्रमा द्वारा आवृत हो जाए. इस प्रकार के ग्रहण के लिए चन्दमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है. लगने वाला सूर्य ग्रहण कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण होगा. सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
इसके साथ ही इस दौरान शुभ कार्यों को करने की भी मनाही होती है. 58 साल बाद ऐसा ग्रहण पड़ रहा है जो प्राकृतिक आपदाओं या अकाल मृत्यु का द्योतक है, कान्या, तुला और कुंभ राशि को इस ग्रहण के प्रभाव से लाभ मिलेगा. उनकी पर्सनल लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की होगी. इसके अलावा पदोन्नति के आसार भी दिख रहे हैं.
जबकि कर्क, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के लिए कष्ट लेकर आएगा ये ग्रहण.स्वास्थ्य, आर्थिक हानि और तनाव जैसे संकट का कारक हो सकता है ये ग्रहण. इसके लिए अतिरिक्त अन्य राशियों को भी मध्यम स्तर का ग्रहण प्रभाव दिखाई देगा. अत्यधिक धन खर्च, संपन्न हो रहे कार्यों में बाधा आदि सूर्य ग्रहण के प्रभाव से हो सकता है. भूकंप, सुनामी और बर्फबारी का खतरा है ज्योतिष गणना के अनुसार, ग्रहण से ठीक एक दिन पहले पौष माह में मंगल राशि परिवर्तन करके जल-तत्व की राशि वृश्चिक में प्रवेश करने वाला है.

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