मधुबनी : पहले प्याज, फिर हरी सब्जी उसके बाद लहसुन और सूखा मिर्च के दामों में उछाल आम लोगों के खाने को स्वादहीन बना दिया है. लेकिन स्वाद है कि मानता नहीं और आम लोगों की जेबों पर अनावश्यक दबाव बढ़ गया है. जिससे घरेलू बजट का संतुलन बिगाड़ कर रख दिया. सब्जियों को लजीज व स्वादिष्ट बनाने में लहसुन व प्याज का खासा महत्व होता है.
वहीं कड़क लाने में सूखा मिर्च भी जरूरी है. ऐसे में एक के बाद एक इन तीनों समानों की तेजी स्वाद को वैसे ही तीखा कर दिया है. जिसके कारण बाजार भी प्रभावित हो रहा है. इधर सूखे मिर्च की कीमत भी दो सौ रुपये प्रति किलो हो गया है.
बढ़ रही कीमत से सिमट रहा कारोबार : मुख्यालय का मुख्य गिलेशन बाजार में जहां 10 दिन पूर्व तक लहसुन प्रतिदिन 40-50 बोरा बिक्री होता था. अब वह 20-25 बोरा की बिक्री में सिमट कर रह गया है. यही हाल सुखा मिर्च का भी है. इसके अलावा पर्व त्योहारों में पूजा से लेकर खाने के प्रयोग में आने वाला छोटी इलायची भी मसालों पर भारी पड़ते हुए 4 हजार रुपये प्रति किलों की दर को छू गया है. ऐसे में बड़े लोगों को कोई अधिक फर्क नहीं पड़ रहा है. लेकिन मध्य वर्गीय श्रेणी के उपभोक्ताओं की तो महंगाई ने कमर तोड़ कर रख दी है.
गिलेशन बाजार किराना व्यवसायी संघ के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद साह ने बताया कि 10-15 दिन पूर्व तक बाजार में जहां प्रतिदिन 50 बोरा लहसुन व सूखा मिर्च की बिक्री होती थी. अब इसकी बिक्री घटकर प्रतिदिन 20-25 बोरा हो गया है. दामों में वृद्धि के कारण आम उपभोक्ता द्वारा भी एक किलो आधा किलो की जगह अब सौ से दौ सौ ग्राम लहसुन व मिर्च की खरीदारी की जा रही है.
लहसुन मुख्यत: यूपी के कन्नौज व एमपी के इंदौर से मंगाया जाता है. जबकि सूखा मिर्च आंध्र प्रदेश के घंटुर से आता है. कई व्यवसायियों ने यह भी बताया कि बाजार में मांग के विरुद्ध लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इधर पटना में भी मसाला का बाजार ठप हो गया है.
इसके अलावे मशाला में इलाईची की कीमत में भी बेतहासा बढ़ोतरी हो गयी है. बीते एक माह पहले दो हजार रुपये प्रति किलो बिकने वाला इलाइची इन दिनों चार हजार रुपये प्रति किलो बिक रहा है.