मधुबनी : शहर के निजी भवन को बगैर ट्रैड लाइसेंस लिए धड़ल्ले से व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे नगर परिषद को लाखों की राजस्व की हानि हो रहा है. हालांकि नप प्रशासन को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कितने निजी भवनों में व्यापार चल रहा है. दरअसल, शहर में व्यापार करने के लिए दुकानदारों को नगर परिषद से ट्रेड लाइसेंस लेना पड़ता है. जिसे प्रति वर्ष रिन्युवल करना पड़ता है. इससे प्राप्त राजस्व को विकास के मद में खर्च किया जाना है.
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शहर में बिना ट्रेड लाइसेंस के प्रतिष्ठानों का हो रहा संचालन
मधुबनी : शहर के निजी भवन को बगैर ट्रैड लाइसेंस लिए धड़ल्ले से व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे नगर परिषद को लाखों की राजस्व की हानि हो रहा है. हालांकि नप प्रशासन को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कितने निजी भवनों में व्यापार चल रहा है. दरअसल, शहर […]
नप सूत्रों के मुताबिक शहर में करीब 5 हजार से अधिक दुकान हैं. जिसमें से पिछले वित्तीय वर्ष में 25 ड्रेड लाइसेंस दिये गये थे. पर इस वित्तीय वर्ष में सिर्फ 10 आवेदन ही ट्रेड लाइसेंस लिए बगैर ही लोग व्यापार कर रहे हैं. नप प्रशासन भी सिर्फ अपने टैक्स कलेक्टर को सर्वे करने का आदेश जारी कर छोड़ दे रहा है. शहर के बाटा चौक, शंकर चौक, महिला कॉलेज रोड, बस स्टैंड रोड, काली मंदिर, गिलेशन में सैकड़ों दुकान चल रहे हैं. ऐसे में सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि इतने बड़े शहर में ट्रेड लाइसेंस के बगैर दुकानदारी कर रहे निजी मकान मालिकों द्वारा सरकार के राजस्व को कितना चुना लगाया जा रहा है.
लाखों के राजस्व का नुकसान. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस मामले में नगर परिषद कितना गंभीर है. नप के उदासीनता के कारण लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है. बिना ड्रेड लाइसेंस लिए ही शहर में धड़ल्ले से दुकानदारी हो रही है. अगर एक दुकान से एक हजार रुपया आता है तो सालाना 5 लाख रुपये ट्रेड लाइसेंस से राजस्व प्राप्त होगा. इससे नगर परिषद के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. लेकिन नप इस मामले में उदासीन बना हुआ है. जिसके कारण निजी भवनों में लोग बेखौफ दुकान चला रहे हैं.
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