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प्रसव होने के 12 घंटे बाद ही प्रसूता को भेज दिया जाता घर
मधुबनी :लक्ष्य को पूरा करने के चक्कर में जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. स्वास्थ्य महकमा मरीजों के स्वास्थ्य को नजर अंदाज कर रहा है. आलम यह है कि प्रसव के बाद प्रसूता को महज 12 घंटे में ही छोड़ दिया जा रहा है. जबकि प्रसव के बाद लगभग 72 घंटे तक अस्पताल में […]
मधुबनी :लक्ष्य को पूरा करने के चक्कर में जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. स्वास्थ्य महकमा मरीजों के स्वास्थ्य को नजर अंदाज कर रहा है. आलम यह है कि प्रसव के बाद प्रसूता को महज 12 घंटे में ही छोड़ दिया जा रहा है. जबकि प्रसव के बाद लगभग 72 घंटे तक अस्पताल में रखने का प्रावधान है. प्रसव कक्ष में प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद गर्भवती व प्रसूता को रखने के लिए दो वार्ड बनाया गया है.
दोनों वार्ड में 8-8 बेड है. जबकि प्रसव कक्ष में प्रतिदिन 25 से 30 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. जिसके कारण वार्ड के एक बेड पर दो प्रसूता व गर्भवती को रखा जाता है. दोनों वार्ड में लगा एसी प्राय: बंद ही रहता है. जिसके कारण गर्मी में गर्भवती व प्रसूता की स्थिति काफी दयनीय हो जाती है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन चहारदीवारी व अन्य संसाधनों के जरिये लक्ष्य प्रमाणी करण लेने की जुगत में है. जबकि प्रसूता को मिलने वाली सुविधा उन्हें सही से नहीं मिल पा रहा है.
मरीज के परिजन सेलिया जाता है आवेदन
प्रसव के 12 घंटे बाद प्रसूता को घर भेजने से पूर्व अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रसूता के परिजनों से स्वेच्छा से घर ले जाने की बात लिखा ली जाती है. इसके साथ ही पथ्य आहार एजेंसी द्वारा समुचित व मीनू के अनुरूप पथ्य आहार भी इन वार्डों में नहीं दिया जाता है. विदित हो कि विशेष प्रकार के मरीजों के लिए अधीक्षक व अस्पताल प्रबंधन के परामर्श पर आहार की आपूर्ति करने का प्रावधान है. लेकिन प्रसव कक्ष में सभी प्रतिदिन सामान्य पथ्य आहार ही एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. अस्पताल प्रबंधन लंबी चौड़ी कवायद के माध्यम से लक्ष्य प्रमाणीकरण लेने में मशगूल है. तथा मरीजों को चिकित्सीय व अन्य सुविधा उपलब्ध कराने में हो रहा फिसड्डी.
क्या कहते हैं अधीक्षक
इस संबंध में अधीक्षक डा. एच के सिंह ने बताया है कि प्रसव कक्ष बहुत छोटा है. प्रसव कक्ष को बढ़ाने व बेड बढ़ाने के लिये विभाग को लिखा गया है. ताकि बेहतर सुविधा दी जा सके.
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