मधुबनी : मुसलमान समुदाय का पाक महीना रमजान मंगलवार से शुरू हुआ. सोमवार की शाम चांद के दीदार के बाद मंगलवार को मुसलमानों ने रोजा रखा. रोजा में रोजेदार भुखा प्यासा रहकर शाम में इफ्तार कर रोजा तोड़ते है. इसमें बच्चे, बुढे, जवान, महिला पुरुष सभी एक माह तक रोजा रखते हैं.
भौआड़ा सिंहनियां चौक की 80 वर्षीय नसीमा खातून ने कहा कि रोजा अल्लाह की दी हुई नेमत है. इसे हर वर्ष रमजान के माह में रखती हूं. जब तक जिंदगी बची है इसे करती रहुंगी.
वहीं 10 वर्षीय इफत ने भी हंसते हुए कहा कि मैंने भी रोजा रखा है. मौलाना डा. इबरार अहमद इजराबी ने कहा कि हमारे धार्मिक ग्रंथ पवित्र कुरान का रमजान माह से गहरा ताल्लुक है. पवित्र ग्रंथ कुरान रमजान के माह में ही मुसलमान के प्रोफेट मो. साहेब को दिया गया था. रोजा रखने के बाद रात में नमाज (तराबी का नमाज) खड़ा होकर पढा जाता है.
इसे पढ़ने वालों का 70 नमाज का फल मिलता है. साल के बारह महीने में एक माह रमजान का मुसलमानों के लिए खास महत्व है. प्रो. इजराबी ने कहा कि रमजान का उद्देश्य एक माह तक भूखे प्यासे रहकर प्रशिक्षण लेना है कि किस तरह अभाव या गरीबी में जिंदगी बसर करता है. उस अभाव को शिद्दत से समझने का रमजान का माह सबसे अहम है.