मधुबनी : पानी की किल्लत से पूरा शहर जूझ रहा है. कहीं यह परेशानी अधिक है तो कहीं कम. पर कमोवेश हर वार्ड में पानी की परेशानी हो रही है. जैसे जैसे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे वैसे पानी देने वाले चापाकलों की संख्या भी कम होती जा रही है. इस पर समरसेबुल […]
मधुबनी : पानी की किल्लत से पूरा शहर जूझ रहा है. कहीं यह परेशानी अधिक है तो कहीं कम. पर कमोवेश हर वार्ड में पानी की परेशानी हो रही है. जैसे जैसे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे वैसे पानी देने वाले चापाकलों की संख्या भी कम होती जा रही है. इस पर समरसेबुल पंप आम लोगों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है.
जिन्होंने समरसेबुल चापाकल लगाया उन्हें तो पानी मिल रहा है, पर अगल बगल के लोगों के लिये यह आफत बन गया है. शहर में बीते एक साल में करीब तीन सौ से अधिक समरसेबुल मोटर लग गया. नगर परिषद मौन ही रहा. हम आज शहर के वार्ड 27 और 28 में पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं लोगों की पड़ताल करती रिपोर्ट.
दूसरे वार्ड से लाना पड़ता है पानी . वार्ड 28 पूर्व मुख्य पार्षद का वार्ड है. इस साल भी वही यहां से चुनाव जीते हैं. पर वर्तमान में यहां के लोगों के सामने परेशानियों का पहाड़ सा खड़ा हो गया है. एक परेशानी हो तो लोग उसे दूर करें, यहां तो नाला, गंदगी, पानी, सड़क की समस्या मुंह बायें खड़ी है. दिन के करीब 1 बज रहे थे. हम अपने सहयोगी के साथ वार्ड नंबर 28 और 27 के सीमा पर थे. सड़क के एक ओर वार्ड नंबर 27 तो दूसरी ओर वार्ड 28. हम लोगों से क्षेत्र के परिसीमन व विकास की बातें कर ही रहे थे कि इसी बीच मुहल्ले की करीब एक दर्जन महिलाएं, लड़किया, पुरुष समीप के ही एक चापाकल पर जाते दिखे.
किसी के हाथ में बाल्टी तो किसी के हाथ में लोटा. पूछने पर लोगों ने बताया कि सब लोग चापाकल पर पीने के लिये जा रहे हैं. आश्चर्य हुआ. सड़क किनारे ही एक जगह चार चापाकल लगा था. निजी चापाकल था. हमने लोगों से पूछा कि यहीं तो चार चापाकल हैं, फिर पानी की परेशानी क्यों है. हमारे यह पूछते ही लोग आक्रोशित हो गये. बताने लगे कि करीब दो माह पहले तक पानी की परेशानी नहीं थी.
दो-दो सरकारी चापाकल से पानी निकल रहा था. इन निजी चापाकलों से भी पानी निकल रहा था. पर अचानक ही एक के बाद एक कर करीब तीन चार समरसेबुल चापाकल लग गये. इसके बाद तो सभी चापाकल एक प्रकार से सूख ही गया है. सुबह में किसी में पानी आया तो ठीक नहीं तो दिन भर बंद. वार्ड 28 में सड़क किनारे जिस चापाकल से पानी निकल रहा था, वह भी खराब हो गया है. अब आस पास के लोगों के लिये वार्ड 27 का एक मात्र चापाकल है जो लोगों को पीने को पानी दे रहा है.
अब तक योजना की शुरुआत नहीं. मुहल्ले के लोगों ने बताया कि शहर भर में हर जगह नल का जल योजना शुरू किया गया है. पर इस वार्ड को मानों नप का हिस्सा ही नहीं माना जा रहा है. जिस कारण से अब तक इस मुहल्ले में योजना की शुरुआत ही नहीं हो सकी है. कहते हैं कि कइ बार इस समस्या से वार्ड के लोगों ने वार्ड पार्षद को कहा, पर अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
सड़क पर नहाने के लिए महिलाएं मजबूर: सिर्फ पीने के पानी की परेशानी नहीं है. पानी के कारण लोगों को सड़कों पर नहाना पड़ता है. इसमें सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को हो जाती है. कौशल्या देवी, गायत्री देवी, रिंकी कुमारी बताती है कि दिन भर में करीब दस बार पीने के लिये पानी लाते हैं, पर सबसे अधिक परेशानी यह होती है कि नहाने के लिये इसी चापाकल पर आना पड़ता है. खुले में सड़क पर नहाना पड़ता है.