खेल में शिवीपट्टी, बेलाही, बेल्हबार, अंडीपट्टी, बहरबन, डोकहर व कनैल सहित अन्य गांवों के युवक हुए शामिल
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नाजिरपुर में जुड़शीतल के अवसर पर हुई रोड़ेबाजी, कई चोटिल
खेल में शिवीपट्टी, बेलाही, बेल्हबार, अंडीपट्टी, बहरबन, डोकहर व कनैल सहित अन्य गांवों के युवक हुए शामिल अंग्रेजों के जमाने से हो रहा है खेल, वर्तमान समय में खेल का स्वरूप तेजी से बदल रहा मधुबनी : जुड़शीतल के अवसर पर नाजिरपुर में विभिन्न गांव के लोग सालों से चले आ रहे रोड़ेबाजी का खेला […]
अंग्रेजों के जमाने से हो रहा है खेल, वर्तमान समय में खेल का स्वरूप तेजी से बदल रहा
मधुबनी : जुड़शीतल के अवसर पर नाजिरपुर में विभिन्न गांव के लोग सालों से चले आ रहे रोड़ेबाजी का खेला इस साल भी सोमवार को खेला गया. नाजिरपुर चौर में हुए इस खेल में शिवीपट्टी, बेलाही,बेल्हबार, अंडीपट्टी,बहरबन, डोकहर, कनैल सहित अन्य गांव के सैकड़ों की संख्या में युवक शामिल हुये. इस खेल में कई लोगो को चोट भी लगता है.
सोमवार को भी बेलाही गांव के अखिलेश कुमार घायलहो गया. घायल को तत्काल स्थानीय चिकित्सक के पास लोगों ने भेजा. बेलाही गांव के के बिनोदा कुमार ने बताया कि पहले यह खेल होली से शुरू हो जाता था और जुड़शीताल तक चलता था.
लेकिन 1997 में एक बहुत बड़ा यज्ञ हुआ था. जिसमे सभी गांव के लोगो ने मिलकर यह निर्णय लिया कि अब एक ही दिन यह खेल होगा. बहरबन गांव के राम शोभित मिश्र ने बताया कि अंग्रेज के जमाने से यह खेल हो रहा है. उस समय घोरसबार से नियंत्रण किया जाता था. लेकिन अब समय बदल गया है. इन लोगों ने जिला प्रशासन से मांग किया है कि अब इस तरह का खेल पर प्रतिबंध लगना चाहिये.
आज भी हो रहा खेल का निर्वहन
जुड़शीतल पर्व के मौके पर नाजीरपुर गांव में वर्षों से चली आ रही पत्थर खेल की एक परंपरा का निर्वहन आज भी हो रहा है. भले ही अब यह सांकेतिक ही है फिर भी कई गांवों के लोग दो गुट बनाकर एक दूसरे पर पत्थर व ईंट फेंकते हैं. इसे पहले शिकार के खेल के रूप में जाना जाता था. इस खेल में कई बार लोग घायल भी हो जाते हैं.
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