मधुबनी : बार-बार घटना होने के बाद भी व्यवहार न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था दुरूस्त नहीं है. आये दिन पेशी के लिये लाये गये बंदी भाग रहे हैं तो कई बार खतरनाक तरीके से बंदियों पर हमला भी हो जाता है, पर इसके बाद भी सुरक्षा व्यवस्था में कोताही बरती जा रही है. कब यहां कोई हादसा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
लोग बेरोकटोक न्यायाधीश के इजलास तक आ जा रहे हैं. न तो कहीं पर इन लोगों की जांच हो रही है और न ही किसी अपराधियों के आने पर उसे रोकने की व्यवस्था. यहां तक की यहां पर मेटल डिटेक्टर भी नहीं है. जिससे खतरनाक सामान की जांच की जा सके. न्यायालय सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला पुलिस प्रशासन द्वारा पहल आज दम तोड़ रही है.
आठ जगह तैनात सिपाही को मिला था डिटेक्टर: जिलों के न्यायालय परिसर में हुए हमले के बाद व्यवहार न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त बनाने की पहल शुरू की गई थी. इसके तहत न्यायालय परिसर में प्रवेश के आठ द्वार को चिह्नित कर मेटल डिटेक्टर के साथ सुरक्षा कर्मी को तैनात कर दिया गया था. लेकिन अब सुरक्षा कर्मी बिना मेटल डिटेक्टर के तैनात है.
न्यायालय परिसर को सुरक्षा व्यवस्था के लिए जहां आठ प्रवेश द्वार पर 16 सिपाही को तैनात किया गया था. जहां आने जाने वाले को जांच से गुजरना होता था. आज वह समाप्त हो चुका है. एक तो सुरक्षा कर्मी में कटौती कर ली गई है. अभी फिलहाल मात्र नौ सुरक्षा कर्मी के द्वारा ही पूरे न्यायालय परिसर की सुरक्षा हो रही है. जो भी सुरक्षा कर्मी है उनके पास जांच मशीन उपलब्ध नहीं है.
वाहन को व्यवस्थित करने में बीत रहा समय : जांच में लगे पुलिस बल सड़क पर लगे वाहन को ठीक करने में जूटे रहते है. व्यवहार न्यायालय में आने वाले पक्षकार व आम लोग न्यायालय परिसर में बने सड़क के दोनों ओर इस प्रकार से वाहन खड़ा कर देते हैं कि आम लोगों को पैदल चलना दूभर हो जाता है. इसको दुरूस्त करने में ही परिसर में तैनात सुरक्षा कर्मियों में दो का समय बीत व्यतीत हो जाता है.
16 न्यायाधीश व सैकड़ों कर्मी रहते हैं मौजूद : व्यवहार न्यायालय में वर्तमान में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश, एडीजे, मजिस्ट्रेट सहित सैकड़ों न्यायालय कर्मी उपस्थित रहते है. इसके साथ ही करीब 400 अधिवक्ता, 200 अधिवक्ता लिपिक व जिले भर से न्याय के लिए आए सैकड़ों की संख्या में पक्षकार भी पहुंचते है. पर इन सब की सुरक्षा का कोई माकूल इंतजाम नहीं है.
पूर्व में हो चुकी है घटना: न्यायालय परिसर में पूर्व में ही कई घटना हो चुकी है. 1995 में पेशी के दौरान एक कैदी को न्यायालय के बरामदे पर ही गोली मार दी गई थी. वहीं कोर्ट हाजत से पेशी के दौरान सुरक्षा कर्मी को चकमा देकर भागने की घटना हो चुकी है. वहीं जिले भर से रिमांड के लिए गिरफ्तार कर लाये अभियुक्त हथकड़ी निकाल कर भागने में सफल हो चुके है.
कोर्ट में स्थायी रूप से 2 /8 का बल तैनात है. जो कैदियों को लाते और ले जाते हैं. साथ ही परिसर में भी 2/8 का बल तैनात है. इसके अलावे टाउन इंस्पेक्टर को यह निर्देश दिया गया है कि आवश्यकता पर कोर्ट में पुलिस बल को तैनात करें.
अश्विनी कुमार, प्रभारी एसपी