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जान जोखिम में डाल बस की छत पर कर रहे सफर

मधुबनी : हादसे के बाद नियम कानून, आला अधिकारियों का आदेश जारी होता है, पर वह कागज पर ही सिमट कर रह जाता है. बीते तीन साल पहले बसैठ बस हादसा के बाद जिला प्रशासन व परिवहन विभाग ने यह आदेश जारी किया था कि बस की छतों पर बैठने वाले यात्रियों व संबंधित बस […]

मधुबनी : हादसे के बाद नियम कानून, आला अधिकारियों का आदेश जारी होता है, पर वह कागज पर ही सिमट कर रह जाता है. बीते तीन साल पहले बसैठ बस हादसा के बाद जिला प्रशासन व परिवहन विभाग ने यह आदेश जारी किया था कि बस की छतों पर बैठने वाले यात्रियों व संबंधित बस चालकों पर कार्रवाई की जायेगी. अर्थदंड लगाया जायेगा. पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कुछ दिनों तक इस पर पुलिस ने नजर रखी. पर अब पूर्व की तरह ही खुलेआम बस के छतों पर गठ्ठर की तरह लोग बैठे होते हैं. ऐसा नहीं कि इस बात की जानकारी जिला प्रशासन व संबंधित अधिकारियों को नहीं है. जानकारी होने के बाद भी कुछ भी कार्रवाई नहीं हो रही है.

मुख्यालय से हर रूट के लिए चल बस. जिला मुख्यालय स्थित निजी एवं सरकारी बस डिपो व मैक्सी स्टैंड से खुलने वाली बस में खुलेआम मोटर वाहन अधिनियम की धज्जियां उड़ायी जा रही है. बड़े एवं छोटे बस की छत पर वाहन चालक मनमर्जी से खबारी को बैठा कर एक जगह से दूसरे जगह ले जाते हैं. जो दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है. ऐसी बात नहीं है कि यह बस किसी गली से होकर चलती है. शहर के मुख्य सड़कों से होकर यह बस विभिन्न जगहों के लिए खुलती है. ऐसा नजारा मुख्यालय से रहिका, बेनीपट्टी, राजनगर, बाबूबरही, खुटौना व लौकहा, बासोपट्टी, उमगांव, हरलाखी जाने वाली हमेशा देखने को मिलता है. आज तक न ही पदाधिकारी ने कार्रवाई नहीं की है.
दुर्घटना को आमंत्रण. छत पर सवारी करने वाले यात्री जहां दुर्घटना को आमंत्रण देते है. वहीं अपनी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. चिलचिलाती धूप हो या सर्द हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. कई बार यात्री इसकी चपेट में आ चुके हैं.
हाइटेंशन तार के नीचे से गुजरती है बस. बस की छत पर यात्रा करना दुर्घटना को आमंत्रण देने के समान है. कब कौन सी घटना हो जाये, कहना मुश्किल है. बस की छत के बराबर बिजली का हाइटेंशन तार गुजरता है. गुजरने वाले सभी नंगा तार ही है. वहीं सड़क किनारे लगे पेड़ से छत पर बैठे यात्री को टकराने का भय रहता है. ऐसा देखा जाता है कि यात्री जहां पेड़ देखते हैं उस समय सतत पर पूरी तरह से झुक जाते हैं. चालक की थोड़ी सी लापरवाही से बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
यात्री के साथ दुर्व्यवहार. बस के स्टॉफ अंदर जगह नहीं रहने पर यात्रियों को बस के छत पर बैठने का आमंत्रण देते हैं. अगर यात्री उनकी बात नहीं मानते तो उसको स्टॉफ धमकाते हुए दुर्व्यवहार भी करते है. स्टाफ भी यात्री के रहन- सहन तथा आव भाव देखकर ही ऐसा करते है. जिसमें अधिकांशत: कमजोर वर्ग के लोग ही होते हैं.
क्या है नियम. किसी भी वाहन में बैठने की क्षमता से ज्यादा सवारी को चढ़ाना नियम के विपरित है. यदि कोई बस चालक बैठाने की क्षमता से ज्यादा सवारी को लेकर खासकर छत पर सवारी को लेकर चलता है तो इस समय परिवहन पदाधिकारी इसे पकड़ कर ले तो जुर्माना के साथ- साथ परमीट रद्द करने की भी कार्रवाई हो सकती है. अधिनियम की धारा 182 के तहत कार्रवाई तथा छत पर बैठे प्रति यात्री 200 रुपया जुर्माना लगाया जा सकता है.

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