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पांच माह में ही धुंधली पड़ी अयाची डीह के विकास की उम्मीद

उदासीनता l सितंबर में अयाची डीह पर चढ़ा था फूल, आज चढ़ाया जाता है ईंट का टुकड़ा मधुबनी : करीब पांच माह हुए हैं. नौ सितंबर का दिन एेतिहासिक माना गया. इस दिन सरिसवपाही गांव में अयाची डीह पर अचायी की प्रतिमा का सीएम नीतीश कुमार ने अनावरण किया था. फूल माला चढ़ायी. सीएम के […]

उदासीनता l सितंबर में अयाची डीह पर चढ़ा था फूल, आज चढ़ाया जाता है ईंट का टुकड़ा

मधुबनी : करीब पांच माह हुए हैं. नौ सितंबर का दिन एेतिहासिक माना गया. इस दिन सरिसवपाही गांव में अयाची डीह पर अचायी की प्रतिमा का सीएम नीतीश कुमार ने अनावरण किया था. फूल माला चढ़ायी. सीएम के साथ गांव के लोगों ने भी इस डीह के सौंदर्यीकरण की बातें की थीं. पांच माह में ही वह सारी तस्वीर धुंधली पड़ गयी है. आज उस स्थल पर कोई जाये, तो महसूस होगा कि यह डीह बीते छह सौ साल से क्यों विकसित नहीं हो सका.
दिन के करीब 1 बज रहे थे. अपने सहयोगी नागेंद्र नाथ के साथ अयाची डीह को देखने पहुंचे. जेहन में यह कल्पना थी
पांच माह में
कि 9 सितंबर के बाद डीह के विकास के मामले में जरूर ही कुछ काम हो रहा होगा. जैसे ही डीह पर पहुंचे हमारी कल्पना मानों रेत की दीवार की तरह गिर गयी. पल भर में विकास की जितनी भी अवधारणाएं हमने मन में बना रखी थी वह समाप्त हो गयी. सामने जो तस्वीर थी, वही हकीकत थी. डीह पर हर ओर पुआल के ढेर थे. जिस जगह पर अयाची की प्रतिमा स्थापित की गयी थी, उस स्थल के एक ओर गोबर से उपेला बनाने में एक महिला जुटी थी. ठीक स्थल से सटा पुआल का बड़ा ढेर. सामने एक बैलगाड़ी पर पुआल, पूरे परिसर में जहां तहां गोबर के ढेर. और जगहों की बातें ही क्या करें, बाबा अयाची की प्रतिमा स्थल के आगे इस प्रकार ईंट के टुकड़े फेंके थे, जैसे लग रहा था कि कोई फूल गिरा हो. सहज ही विश्वास नहीं हो रहा था .
पांच माह में ही दम तोड़ रहा अभियान
बीते 9 सितंबर को जिस अयाची डीह के विकास की बातें खुद सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने की थी. आज वह दम तोड़ता नजर आ रहा है. आलम यह है कि पूर्व की स्थिति से भी इन दिनों इस ऐतिहासिक डीह की स्थिति हो गयी है. जिस दिन लोगों के सामने अयाची का काल्पनिक स्वरूप सामने आया, हर ओर खुशी व उमंग थी. लोगों ने श्रद्धा से अयाची की प्रतिमा के आगे अपना सिर भी झुकाया था. प्रतिमा पर फूल माला चढ़ा था, पर हमारी संकीर्ण सोच, आज उस अयाची की प्रतिमा के आगे ईंट-पत्थर के टुकड़े फेंके हैं, तो हर ओर पुआल व गोबर के ढेर लगे हैं. लगता ही नहीं कि इसी डीह के विकास की बातें हर किसी ने की थी.
कहीं पुआल, तो कहीं िदख रहा गोबर का ढेर
किसी को अफसोस नहीं. पांच माह पहले जिस दिन अयाची की प्रतिमा की स्थापना की गयी थी, संगमरमर की वह मूर्ति दूध की तरह ही उजला दमक रही थी. आज वह चमक मलीन होती जा रही है. पुआल गंदगी की परत इस प्रतिमा पर जमती जा रही है. किसी को इसका अफसोस नहीं. हमारे पहुंचते ही एक युवक पप्पू यादव युवक पहुंचे. बताते हैं कि गोबर का ढेर उन्हीं का है. कहा कि परिसर खाली है. यहां नहीं रखेंगे गोबर तो कहां रखेंगे. सालों से रखते आ रहे हैं. 75 वर्षीय शंभू यादव बताते हैं कि जाबै तक अइ के बाउंड्री नै हेते ताबे तक हम आउर अहिना सामान राखब, जखन जखन पाहुन एता साफ सफाइ हेतै. हम सब सामान त रखबे करबै ने. एखन एकर उत्त्थान के समय नै एलै.
समिति भी मानो थक गयी.
ऐसा नहीं कि इस डीह की इस स्थिति से अयाची डीह विकास समिति अनभिज्ञ हो. हर जानकारी है. बदहाली को भी देख रहे हैं. पर मानो प्रतिमा अनावरण करना और सीएम को गांव में लाने तक ही इस डीह ने अपने अभियान का हिस्सा माना था. इसके बाद तो इसे देखने की भी जरूरत नहीं रह गयी है. समिति के संयोजक राम बहादुर चौधरी बताते हैं कि डीह पर उपद्रव हो रहा है. वहां के कुछ लोग इसकी हर दिन अनदेखी कर रहे हैं. जब तक इसका सीमांकन करा कर दीवाल नहीं लग जाता, तब तक परेशानी कायम रहेगी. हालांकि समिति के लोग जाकर जरूर वहां के लोगों को समझा रहे हैं. उनकी बातों को अनसुनी की जा रही है.

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