मधुबनी : कड़ाके की ठंड से लोगों का हाल बेहाल है. कई दिन से कुहासे के कारण आवाजाही प्रभावित हो रहा है. शुक्रवार को सुबह में जहां घना कुहासा रहा, वहीं दिन चढते ही तेज पछिया हवा ने कनकनी बढा दी. कनकनी अधिक होने से लोग ठंड से कांपते रहे. सबसे अधिक परेशानी दो पहिया […]
मधुबनी : कड़ाके की ठंड से लोगों का हाल बेहाल है. कई दिन से कुहासे के कारण आवाजाही प्रभावित हो रहा है. शुक्रवार को सुबह में जहां घना कुहासा रहा, वहीं दिन चढते ही तेज पछिया हवा ने कनकनी बढा दी. कनकनी अधिक होने से लोग ठंड से कांपते रहे. सबसे अधिक परेशानी दो पहिया वाहन चालकों को हो रही है. वहीं इस ठंड ने कई फसल पर बज्रपात कर दिया है. खासकर केला, मसूर, आलू के फसल पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि दोपहर में कुछ देरे के लिये जरूर धूप निकल रहा था.
पर इसके बाद भी कनकनी कम नहीं हुइ. कंपकपी से लोग परेशान रहे. सांख्यिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अधिकतम तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है.
केले की फसल पर बुरा प्रभाव
कनकनी बढने का सबसे बुरा असर केला के फसल पर पड़ा है. रांटी गांव के किसान सुखराम चौरसिया ने बताया है कि उसने अपने एक बीघा के खेत में टिसू कल्चर प्रभेद वाला केला लगाया था. फसल बेहतर था. आमदनी की भी उम्मीद थी. पर ठंड से केला गलने लगा है. हर पेड़ पीला हो गया है. कहा कि इस ठंड से केला को बचाने के लिये अब तक विभाग द्वारा किसी प्रकार की सहायता या सुझाव नहीं दिया गया है. रामपट्टी के किसान शत्रुघ्न प्रसाद ने भी बताया है कि उनके बगान मे लगा केला पूरी तरह से बर्बाद हो गया.
रक्तचाप व सर्दी-खांसी का हो सकता है प्रकोप
चिकित्सकों ने बदलते मौसम में लोगों से सतर्क व सावधानी बरतने की सलाह दी है. सिविल सर्जन डा. अमर नाथ झा ने बताया कि इस बदलते मौसम में सर्दी खांसी, बुखार, कोल्ड डायरिया, दमा, ब्लडप्रेसर, डायवीटीज का प्रकोप बढने की संभावना अधिक होती है. जिसके कारण ब्रेन हैम्रेज, हृदयघात व पक्षाघात जैसी जानलेवा बिमारियों की शिकायत अधिक होती है. उन्होंने सलाह दी है कि बीपी, मधुमेह आदि के रोगी दवा का नियमित सेवन करें. साथ ही बच्चों में इस मौसम में कोल्ड डायरिया, निमोनिया, बुखार आदि की संभावना बढ जाती है. जिसके लिए अपने घरों में पारासिटामोल, रेन्टीडीन (गैस की दवा) टेट्रा साइक्लिन, ओआरएस व जिंक टेबलेट घर में अवश्य रखें.