आस्था. जिले में हर्षोल्लास के साथ मना मिथिलांचल का पर्व
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भैया कोजागरा में, मोजगरा में बाबूजी बांटई छथि मखान
आस्था. जिले में हर्षोल्लास के साथ मना मिथिलांचल का पर्व मधुबनी : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व कोजागरा गुरूवार को हर्षोल्लास व हंसी खुशी से संग मनाया गया. गुरुवार के दिन में दुल्हन पक्ष के घर से वर पक्ष को विभिन्न प्रकार से सजा डाला व सामान (भार) भेजा गया. वर पक्ष के घर पर रिश्तेदारों […]
मधुबनी : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व कोजागरा गुरूवार को हर्षोल्लास व हंसी खुशी से संग मनाया गया. गुरुवार के दिन में दुल्हन पक्ष के घर से वर पक्ष को विभिन्न प्रकार से सजा डाला व सामान (भार) भेजा गया. वर पक्ष के घर पर रिश्तेदारों की भीड़ लगी रही. शाम होते ही चहल-पहल बढ गयी. चांदनी रात में दूल्हा अपने ससुराल से आये परिधान व आभूषण पहन तैयार हुए. इनका गांव की महिलाओं ने गीत गाते हुए हंसी खुशी, हास्य व्यंग के बीच चुमावन किया.
लोकगीत की मची धूम . कोजागरा के दौरान मिथिलांचल के परंपरागत व लोकगीत की धूम रही. महिलांए हर अवसर से संबंधित गीत गाते हुए हंसी खुशी मनायी. इस दौरान भगवती बंदना, लोक गीत, शिव नचारी, डाला सजावट, मखान वितरण सहित कई प्रकार के गीत गाये गये. ” भैया कोजागरा में, भारक मोजगरा में बाबूजी बंटइ छथि मखान ” गीत भी गाये गये. चुमाओन होते ही दुल्हे के घर के सदस्य गांव वालों के बीच मखान, पान व मिठाइयां बांटे.
दूल्हे ने खेला पचीसी. कोजागरा चुमावन के दौरान अरिपन (मिथिलांचल का परंपरागत रंगोली) पर दूल्हे के ससुराल से आये चांदी के बने कौड़ी से पचीसी (चौसर) खेला. एक तरफ दुल्हे व उनकी बहन व अन्य रिश्तेदार रहे तो दूसरी ओर दूल्हे के साला व भाभियां रही. खूब हंसी व्यंग के बीच चौसर की बाजियां खेली गयी. घंटो दोनों ओर से बाजियां चली गयी. हंसी व्यंग के ठहाके गूंजते रहे. खुशी खुशी पर्व को लोगों ने मनाया.
लक्ष्मी की होती है पूजा . कोजागरा के दिन लक्ष्मी की पूजा की परंपरा रही है. खासकर व्यापारी वर्ग कोजागरा के दिन ही लक्ष्मी पूजा करते हैं. वहीं ब्राह्मण व कर्ण कायस्थ के परिवारों में भी विशेष तौर पर कोजागरा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन को शुभ मान कर अधिकांश लोग पान खाते हैं.
घरों में प्रसाद का भोग मां लक्ष्मी को लगाया जाता है. हर लोगों की यह कोशिश होती है कि इस दिन पान-मखान व मिठाइयां खायी जाय. घरों में कइ प्रकार के पकवान भी बनाये जाते हैं. पूरे चांद की रौशनी में नहाये रात में कई जगहों पर लोग रात भर ताश भी खेल कर मनोरंजन किये. वहीं ग्रामीण स्तर पर भोज की तैयारी होती रही. लोग चांदनी रात में पूरे गांव में घूम घूम कर मखाना लिया.
मां लक्ष्मी की हुई पूजा-अर्चना
विधिवत हुई पूजा
चुमावन के वक्त आये ग्रामीण व परिजनों के बीच मखाना, मिठाई व पान का वितरण किया गया. डाला का आकार कन्या पक्ष के समृद्ध होने की सूचना देता है. डाला में मिठाई, फल सहित अन्य सामान सजाकर उसे आकर्षक बनाया जाता है. ताकि आंगन की शोभा बढ़ जाये.
वहीं दूसरी ओर कोजागरा के बारे में एक मिथक प्रसिद्ध है कि कोजागरा की रात जगे रहने से धन, संपदा व श्री की वृद्धि होती है. इसी मान्यता के आलोक में लोग रतजग्गा भी करते हैं.
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