समस्या. लोगों को परदेस जाने में होगी परेशानी
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दिल्ली जानेवाली ट्रेनों में सीट नहीं
समस्या. लोगों को परदेस जाने में होगी परेशानी मधुबनी : दुर्गा पूजा व दीपावली में गांव आने वाले परदेसी को वापस परदेस जाने में परेशानी हो सकती है. खासकर उन लोगों को जेनरल बोगी में ही सफर करना होगा जिन्होंने पूर्व में ही वापसी का टिकट कंफर्म नहीं करा लिया है. दरअसल भीड़ इस कदर […]
मधुबनी : दुर्गा पूजा व दीपावली में गांव आने वाले परदेसी को वापस परदेस जाने में परेशानी हो सकती है. खासकर उन लोगों को जेनरल बोगी में ही सफर करना होगा जिन्होंने पूर्व में ही वापसी का टिकट कंफर्म नहीं करा लिया है. दरअसल भीड़ इस कदर बढ़ गयी है कि लंबी दूरी की अधिकांश ट्रेनों में सीट उपलब्ध नहीं है. हालत यह है कि आगामी 12 नवंबर तक जयनगर नई दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में बर्थ उपलब्ध नहीं है. जयनगर से दिल्ली जाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी सुपर फास्ट, गरीब रथ व शहीद एक्सप्रेस में 12 नवंबर तक बर्थ उपलब्ध नहीं है. वहीं, जयनगर से कोलकाता जाने वाली गंगा सागर एक्सप्रेस में 6 नवंबर से बर्थ उपलब्ध हो पायेगा. जबकि, जयनगर रांची में एक सप्ताह के बाद बर्थ उपलब्ध हो पायेगा.
निराश लौट रहे यात्री. सतलखा निवासी आनंद झा दुर्गा पूजा में गांव आये थे. घर में कोजागरा भी था. दिल्ली जब गांव के लिए चले थे तो वापसी का टिकट भी कटा लिया था. वापसी दो अक्तूबर को थी. पर जब गांव आये तो बगल के चचेरे भाई के कोजागरा होने के कारण परिवार के लोगों ने जिद कर रोक लिया. पर अब गांव में रूकना ही इनके लिये परेशानी का कारण बन गया है. अब दो अक्तूबर से ही वापसी के लिये रोज टिकट लेने के लिए काउंटर पर आते हैं. पर किसी भी ट्रेन में टिकट नहीं मिल रहा. इधर बच्चों का स्कूल भी खुल गया है. लेकिन टिकट नहीं मिल पाने के कारण इन लोगो को अब परेशानी हो रही है.
काउंटर बढ़े, तो बढ़ेगा राजस्व भी. जिला मुख्यालय स्थित स्टेशन पर महज एक पीआरएस काउंटर कार्यरत है. जहां प्रति दिन आरक्षण से औसतन 2 लाख 30 हजार 760 रुपये की राजस्व प्राप्ति होती है. जबकि, पीआरएस काउंटर को बढ़ाने की दिशा में रेल प्रशासन का रवैया उदासीन है. मॉडल स्टेशन का दर्जा प्राप्त होने के बावजूद भी स्टेशन टिकट काउंटर पर वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, विकलांगों, कैंसर पीड़ित रोगी सहित गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज के लिए कोई अतिरिक्त आरक्षण खिड़की संचालित नहीं है. पीआरएस काउंटर से प्रतिदिन प्रति पाली में तकरीबन 200 मांग पत्रों पर आरक्षण दिया जाता है. रेलवे कर्मियों का कहना है कि काउंटर बढ़ जाये तो हर दिन एक लाख से तीन लाख रुपये तक की राजस्व बढ़ोतरी हो सकती है.
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